देवरगट्टू मंदिर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए युद्ध करते हैं भक्त, एक-दूसरे पर चलाते हैं लाठियां
नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। भारत देश में हर मंदिर आस्था का केंद्र हैं, जहां अपने आराध्य को खुश करने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
आंध्र प्रदेश में भगवान शिव और मां पार्वती का ऐसा मंदिर है, जहां भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्त एक-दूसरे पर हमला करने से भी नहीं चूकते। हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के देवरगट्टू मंदिर की।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सीमा के कुरनूल जिले के पास बना देवरगट्टू मंदिर अपने आप में खास है, क्योंकि मंदिर को 300 साल पुराना बताया जाता है। मंदिर पहाड़ी पर बना है, जहां कठिन रास्तों से गुजरकर भक्तों को मंदिर तक पहुंचना पड़ता है।
इस मंदिर में भगवान शिव श्री माला मल्लेश्वर स्वामी के रूप में विराजमान हैं, जिन्हें भगवान का रौद्र रूप माना जाता है, जिन्होंने राक्षस का वध करने के लिए माला मल्लेश्वर का अवतार लिया था।
माना जाता है कि मंदिर की मूर्ति खुद प्रकट हुई थी और भगवान शिव ने भैरव का रूप लेकर विजयादशमी की रात को लाठियों से युद्ध कर राक्षसों का खून बहाया था।
मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार मणि और मल्लासुर ने धरती पर आतंक मचा रखा था। दोनों राक्षस संतों और साधारण जनमानस पर अत्याचार करते थे, ऐसे में भगवान शिव ने भैरव का अवतार लेकर दोनों राक्षसों का वध किया था।
इसी दिन से विजयादशमी पर मंदिर में भक्त खास अनुष्ठान करते हैं और रात्रि के समय लाठियां, डंडे और तलवार लेकर आपस में युद्ध करते हैं। यह अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह परंपरा करीब सौ सालों से निभाई जा रही है।
यह मंदिर भले ही पहाड़ी पर बसा है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पर्याप्त कनेक्टिविटी है। शहर से 135 किलोमीटर की दूरी पर एयरपोर्ट बना है, जबकि 35 किलोमीटर दूर अदोनी और गुंतकल में रेलवे स्टेशन है। मंदिर के पास ही जगन्नाथ पहाड़ी और रोलापाडु वन्यजीव अभयारण्य है, जहां घूमने के लिए भी जा सकते हैं।
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Created On :   7 Nov 2025 8:47 PM IST












