जेल से आएंगे बाहर, तो कैदियों को नहीं भटकना पड़ेगा दर-दर

सागर भांडारकर , भंडारा। अलग-अलग अपराधों में सजा भुगत चुके कैदियों को रिहाई के बाद फिर नए सिरे से जीवन शुरू करना पड़ता है। वर्षों बाद कारागार से रिहा होने पर रोजगार स्थापित कर परिवार चलाना यह सजा भुगत चुके कैदियों के लिए आसान नहीं होता हैं। समाज का बदला हुआ रवैया व विश्वास की कमी के चलते इन्हें आर्थिक मदद नहीं मिल पाती। ऐसे रिहा हो चुके कैदियों के लिए शासन द्वारा मुक्त बंदी पुनर्वसन योजना के माध्यम से रोजगार स्थापित करने व आत्मनिर्भर बनाने मदद दी जाती है। जिले में दो वर्षों में सात कैदियों को महिला व बाल विकास विभाग ने मुक्त बंदी पुनर्वसन योजना के माध्यम से सहायता दी है। अपराध करने पर सजायाफ्ता कैदी वर्षों तक कारागार में बंद रहते हैं। ऐसे स्थिति में सजा भुगतने से पहले वह जो भी काम करते हैं रिहाई के बाद उसका स्वरूप बदल जाता है।
अपराधिक इतिहास के चलते ऐसे लोगों को समाज में काम हासिल करना आसान नहीं होता। रिहाई के बाद वह परिवार के पालन भरन के लिए फिर से अपराध की दुनिया में न जाए इस लिए शासन द्वारा महिला व बाल विकास विभाग के माध्यम से मुक्त बंदी पुनर्वसन योजना चलाई जाती है। विभाग छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए 25 हजार रुपयों की सहायता देता है। इस योजना का लाभ हासिल करने के लिए लाभार्थी यह जिले का निवासी व उसके पास आधार कार्ड रहना जरूरी है। ऐसे स्थिति में महिला व बाल विकास विभाग द्वारा लाभार्थियों को पानटपरी, होटेल, सब्जी, सैलून, फल बिक्री आदि छोटे व्यवासय के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है। लाभ देने से पहले विभाग के अधिकारी मौके पर जाकर स्थिति अनुसार प्रकरण मंजूर करते हैं। इसके लिए लाभार्थी को व्यवसाय से जुड़ा नियोजन विभाग के सामने प्रस्तुत करना पड़ता है। विभाग द्वारा वर्ष 2021 - 22 में तीन तथा वर्ष 2022– 23 में चार ऐसे सजा भुगत चुके सात कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने लिए सहायता दे चुका है। यह सभी लाभार्थी पुरुष होकर जिले में महिला कैदियों की संख्या बेहद कम हैं। शासन की इस योजना में तीन वर्षों के पहले तक लाभार्थी को पांच हजार रुपयों की सहायता दी जाती थी।
Created On :   7 Feb 2023 7:05 PM IST