पाकिस्तान में 121 सालों से जंजीरों में जकड़ा है बरगद का पेड़

पाकिस्तान में 121 सालों से जंजीरों में जकड़ा है बरगद का पेड़

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-25 07:27 GMT
पाकिस्तान में 121 सालों से जंजीरों में जकड़ा है बरगद का पेड़

डिजिटल डेस्क, पाकिस्तान। अंग्रेजों का शासन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन आज भी हिंदुस्तान और पाकिस्तान में कई ऐसे नियम- कानून हैं जो अंग्रेजों के राज से आज तक चले आ रहे हैं। क्या कभी आपने सुना है कि किसी पेड़ की गिरफ्तारी हुई हो, वो भी पिछले 121 सालों से? सुनकर आपको शायद हंसी आ रही होगी या आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन बता दें कि ये बिल्कुल सही बात है। पाकिस्तान के खैबर पखतूनख्वा प्रांत में एक बरगद का पेड़ 121 सालों से जंजीरों में बांधकर रखा गया है। जी हां, प्रांत के लंडी कोतल में यह जंजीरों से जकड़ा हुआ है और उसपर तख्ती भी लगी है, जिस पर लिखा है- "I am under arrest"

इस पेड़ की इस पेड़ की कहानी 1898 से शुरू होती है। यह पेड़ लंडी कोतल में लगा है। इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। अंग्रेजी सेना में जेम्स स्क्विड नाम के अफसर थे। एक दिन जेम्स नशे की हालत में टहल रहे थे, इस दौरान उन्हें अचानक महसूस हुआ कि एक बरगद का पेंड उनकी तरफ बड़ रहा है। जिससे जेम्स डर गए और अपने साथ चल रहे जवानों को आदेश देते हुए कहा कि पेड़ को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाए। उसी समय से ये पेड़ जंजीरों में कैद है। इतना ही नहीं, पेड़ पर एक तख्ती भी लटकी हुई है जिस पर पेड़ के हवाले से लिखा है, मैं गिरफ्तार हूं। आज तक पेड़ की जंजीरें इसलिए नहीं हटाई गईं, ताकि अंग्रेजी शासन की क्रूरता को दर्शाया जा सके।  

स्थानिय लोगों के मुताबिक यह बंदी पेड़ ड्रेकोनियन फ्रंटियर क्राइम रेगुलेशन (एफसीआर) कानून का उदाहरण है। यह कानून ब्रिटिश कानून के दौरान पश्तून विरोध का मुकाबला करने के लिए किया गया था। इसके तहत उस समय ब्रिटिश सरकार को ये अधिकार था कि वह पश्तून जनजाति में किसी व्यक्ति या परिवार के दूारा अपराध करने पर उसे सीधे दंडित कर सकते हैं।  

आश्चर्य वाली बात यह है कि यह कानून आज भी उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के संघीय रुप से प्रशासित जनजातिय क्षेत्र में लागू है। यह कानून वहां के लोगों को अपील करने का अधिकार, कानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकार और जरूरी सबूत देने के अधिकार से वंचित करता है। कानून के मुताबिक, अपराध की पुष्टि या सही जानकारी के बिना भी निवासियों को गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके तहत संघीय सरकार को आरोपी की निजी संपत्ति को जब्त करने का भी अधिकार है। एफसीआर को बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है।

हालांकि साल 2008 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने एफसीआर को निरस्त करने की बात रखी थी, लेकिन इस मामले में आगे कोई बात बढ़ नहीं सकी। हालांकि 2011 में एफसीआर कानून में कुछ सुधार जरुर हुए, इनमें जमानत का प्रवधान, झूठे मुकदमें के लिए मुआवजे, महिलाओं, बच्चों और बड़ों के लिए प्रतिरक्षा जैसी चीजें शामिल की गईं। फिलहाल तो पाकिस्तान के लोगों के लिए जंजीरों में जकड़ा ये पेड़ एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी बन गया है। लोग दूर-दूर से जंजीरों मे जकड़े हुए इस पेड़ को देखने आते हैं और इसके साथ फोटो भी खिचवाते हैं। 


 

Similar News