बाप-बेटे ने मिलकर किया ये कारनामा 

बाप-बेटे ने मिलकर किया ये कारनामा 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-09 11:07 GMT

डिजिटल डेस्क। मणिपुर के इम्फाल जिले में सदोकम इटंबी सिंह और उनके पिता सदोकम गुनाकांत ने एक अच्छी पहल की है। ये दोनों बाप-बेटे लम्बे समय से प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग पर काम कर रहे हैं। दोनों ही इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनके उभर रहा है और ये पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इतना ही नहीं पौधों, वन्यजीवन और यहां तक कि मानव आबादी के लिए भी ये कई समस्याएं पैदा कर सकता है। इटंबी, जो अपने पिता की तरह ही कंप्यूटर एप्लीकेशन्स में ग्रेजुएट हैं और उनका ये लक्ष्य है कि मणिपुर पूरी तरह प्लास्टिक फ्री स्टेट बन जाए।

इस तरह हुई थी शुरुआत
इटंबी ने 2007 की शुरुआत में एसजे प्लास्टिक इंडस्ट्रीज की स्थापना की और उसके बाद से पिता-पुत्र दोनों ही ने अपने क्षेत्र के प्लास्टिक कचरे की रीसाइक्लिंग करने की प्रक्रिया शुरु कर दी थी। इससे पहले 1990 के दशक में 65 वर्षीय  गुनाकांत अपने बेटे की मदद से छोटे उद्योग चलाते थे। वो बोतलों को इकट्ठा करते थे और इसे पड़ोसी राज्य-दिल्ली और गुवाहाटी में भेज देते थे, जहां पर प्लास्टिक रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित हैं।

कई जरूरी सामान बन सकते हैं 
2010 में नई मशीनों को खरीदा गया, जो प्लास्टिक के कचरे से पाइप, अन्य घरेलू सामान जैसे टब, फ्लॉवर पॉट बना सकते थे। आज की तारीख में केवल मणिपुर में ही 120 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान की गई है। 120 में से, लगभग 30 प्रकार के प्लास्टिक मणिपुर में ही रीसाइकल किए जाते हैं बाकी प्लास्टिक को दिल्ली और गुवाहाटी भेज दिया जाता है।

प्लास्टिक को भी रीसाइकल किया जा सकता है
गुनाकांत का कहना है, "प्लास्टिक को रीसाइकल किया जा सकता है। हम सभी को इन्हें रीसाइकल करने में योगदान देना चाहिए, ताकि इनसे प्रदूषण ना फैले और पानी भी प्रदूषित ना हो। गुनाकांत की कंपनी, जो कुछ रुपयों के निवेश से शुरू हुई थी, वर्तमान में ये प्रति वर्ष 1.2 करोड़ का कारोबार कर रही है।

Similar News