आखिरकार बरमूडा त्रिकोण में जहाजों और विमानों के गुम होने का रहस्य उजागर
आखिरकार बरमूडा त्रिकोण में जहाजों और विमानों के गुम होने का रहस्य उजागर
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। बरमूडा ट्रेंगल के बारे में तो लगभग आप सभी ने कई बार सुना होगा। बहुत से लोगों ने इस त्रिकोण के बारे में कई टिप्पणियां दी, लेकिन असल कारण बताने में सब असमर्थ रहे। माना जाता है कि इस त्रिकोण ने 1600 के दशक से लगभग 1,000 से अधिक जहाजों और विमानों को निगल लिया है। कई लोग इसे शैतान का त्रिकोण भी मानते हैं, लेकिन ये त्रिकोण बरमूडा ट्रेंगल के नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओ ने आखिरकार इस रहस्यमई त्रिकोण की मिस्ट्री हल कर ली है। आईए जानते है आखिर क्यों इस त्रिकोण से कोई भी विमान या जहाज लौट कर नहीं आता।
क्या है बरमूडा ट्रेंगल
बरमूडा ट्रेंगल, अटलांटिक महासागर में स्थित है। मियामी, बरमूडा और प्यूर्टो रिको के तीन छोर से ये ट्रेंगल बनता है। यहां पर कई जहाज और हवाई जहाज गायब हो चुके हैं। इस जगह को बरमूडा ट्रेंगल और कभी-कभी डेविल्स ट्रेंगल के नाम से भी जाना जाता है। पिछली शताब्दी में बरमूडा ट्रेंगल में करीबन 1,000 लोगों की मृत्यु होने का दावा किया गया था।
इस कारण नहीं लौट कर आता कोई जहाज या विमान
वैज्ञानिकों का दावा है कि बरमूडा ट्रेंगल में हेक्सागोनल बादल बनते है। यहां की हवा 273 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती हैं। इन हवाओं को शोधकर्ताओं ने "वायु बम" नाम दिया हैं। उनका मानना है कि हवा के ये क्रूर विस्फोट जहाजों पर भी कभी-कभार गिरते हैं। इतना ही नहीं इन हवाओं की वजह से विमान भी समुद्र में दुर्घटना का शिकार बन जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार ये बड़े बादल मुख्य रूप से बरमूडा के पश्चिमी सिरे पर दिखाई देते हैं।
खोज के दौरान पता चली कुछ खास बातें
एक्सपर्ट ने बादलों के नीचे क्या हो रहा है ये जानने के लिए रडार का इस्तेमाल किया। शोध में पाया गया कि यहां पर समुद्री स्तर की हवा लगभग 273 किमी प्रति घंटे की रफतार से चलती है। इसका मतलब, ये हवाएं तूफान कैटरीना की गति के बराबर चलती है। ये इतनी शक्तिशाली होती हैं कि 45 फीट तक ये समुद्र में ऊंची लहरें बना सकती हैं। इसी वजह से ये हवा अपने घेरे में जहाज के साथ-साथ विमानों को भी ले डूबती हैं।