इसरो ने बनाई देशी परमाणु घड़ी, सैटेलाइट नेविगेशन में मिलेगी मदद

इसरो ने बनाई देशी परमाणु घड़ी, सैटेलाइट नेविगेशन में मिलेगी मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-07 05:16 GMT
इसरो ने बनाई देशी परमाणु घड़ी, सैटेलाइट नेविगेशन में मिलेगी मदद
हाईलाइट
  • रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) के तहत लॉन्च की गई सभी सातों सैटेलाइट में से तीन में आयात की हुई रुबिडियम परमाणु घड़ी लगी हुई हैं।
  • अलग-अलग ऑर्बिट में लगी सैटेलाइट्स में इन घड़ियों के बीच लगे समय इंटर नैविगेशन रिसीवर पृथ्वी पर किसी वस्तु की सटीक पोजिशनिंग बताने में मदद करते हैं।
  • इस तरह की घड़ियां यूरोपीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरर एस्ट्रियम से आयात की जाती हैं।
  • इसके जरिए सटीक लो

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक देशी परमाणु घड़ी विकसित की है। जिसका इस्तेमाल अब नैविगेशन सैटेलाइट्स में किया जाएगा। इसके जरिए सटीक लोकेशन डाटा मिल सकेगा। बता दें कि फिलहाल इसरो इस तरह की घड़ियां यूरोपीय एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरर एस्ट्रियम से आयात की जाती हैं। अहमदाबाद स्थिति अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक तपन मिश्रा के मुताबिक, "फिलहाल यह एटॉमिक घड़ी कई तरह के परीक्षणों के दौर से गुजर रही है।

 

परीक्षण के लिए रखी गई घड़ी

एक बार जब यह सभी परीक्षणों में खरी उतरेगी तो इस देसी एटॉमिक घड़ी का इस्तेमाल किसी नेविगेशन सैटेलाइट के प्रयोग में लगाया जाएगा ताकि इसकी दक्षता की जांच की जा सके।"  अहमदाबाद बेस्ड स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर (एसएसी) के निदेशक तपन मिश्रा का कहना है कि एसएसी ने देसी परमाणु घड़ी बनाई है। फिलहाल इस घड़ी को कई तरह के परीक्षण के लिए रखा गया है।

 

 

जैसे ही यह सभी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पार कर लेगी। इस देसी परमाणु घड़ी को प्रायोगिक तौर पर नैविगेशन सैटेलाइट में इस्तेमाल किया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतरिक्ष में यह कब तक टिक सकती है और साथ ही कितना सटीक डेटा मुहैया करवा सकती है।

 

5 साल तक आसानी से काम करेगी

तपन मिश्रा ने कहा- देसी परमाणु घड़ी बनाने के बाद इसरो का नाम उन अंतरिक्ष संगठनों में शामिल हो गया है जिनके पास यह बेहद जटिल तकनीक है। यह देसी घड़ी हमने अपने डिजायन और विनिर्देशों के आधार पर बनाई है। यह घड़ी आयातित की तरह ही अच्छी है। हमें उम्मीद है कि यह आसानी से पांच सालों तक काम कर लेगी।

 

कैसी काम करती हैं परमाणु घड़ियां

बता दें कि भारत के रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) के तहत लॉन्च की गई सभी सातों सैटेलाइट में से तीन में आयात की हुई रुबिडियम परमाणु घड़ी लगी हुई हैं। इन परमाणु घड़ियों के कामकाज पर बात करते हुए तपन मिश्रा ने बताया कि पहले लॉन्च की गईं सातों सैटेलाइट में लगी परमाणु घड़ी को एक समय के साथ जोड़ दिया गया था। अलग-अलग ऑर्बिट में लगी सैटेलाइट्स में इन घड़ियों के बीच लगे समय इंटर नैविगेशन रिसीवर पृथ्वी पर किसी वस्तु की सटीक पोजिशनिंग बताने में मदद करते हैं।

Similar News