किस्सा: जब खूबसूरत रानी को मर्द बनाकर चुपचाप यूरोप ले गया था राजा, जानें इसके पीछे की वजह

किस्सा: जब खूबसूरत रानी को मर्द बनाकर चुपचाप यूरोप ले गया था राजा, जानें इसके पीछे की वजह

Manmohan Prajapati
Update: 2020-03-06 11:11 GMT
किस्सा: जब खूबसूरत रानी को मर्द बनाकर चुपचाप यूरोप ले गया था राजा, जानें इसके पीछे की वजह

डिजिटल डेस्क, नई ​दिल्ली। भारत में राजा और महाराजाओं के किस्से और कहानियां तो सबने खूब सुनी हैं। खास तौर पर आजादी मिलने से पहले के दौर के किस्से, जो काफी रोचक हैं। हालांकि इनमें से कई राजाओं की कहानियां जहां प्रेरणादायी होती हैं, वहीं कई राजा और महाराजाओं के किस्से अजब-गजब भी रहे हैं। इन राजा महाराजाओं का शासन करने का तरीका जितना अलग था उससे ज्यादा उनके शौक भी अजीब थे। 

ऐसा ही एक किस्सा पंजाब के कपूरथला के महाराजा जगजीत सिंह का है, जो अपनी सबसे खूबसूरत रानी को एक पुरुष बनाकर विदेश ले गए थे। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह थी, लेकिन बाद में जब ये बात लोगों को पता चली तो हर कोई महाराजा द्वारा अपनाई जाने वाली चालाकी पर चकित रह गया। उन्होंने ऐसा क्यों किया और क्या रही इसकी वजह, आइए जानते हैं...

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किताब "महारानी" में रोचक उल्लेख
कपूरथला के महाराजा के इस कारनामे के बारे में जानकर हर किसी को हैरानी होगी, लेकिन कहा जाता है कि कारनामे की वजह उनकी एक विदेश यात्रा थी। दरअसल, अगर वो ऐसा नहीं करते तो रानी को विदेश क्या देश से बाहर नहीं ले जा पाते। कई रजवाड़ों में दीवान की भूमिका निभाने वाले जर्मनी दास ने अपनी किताब "महारानी" में इसका रोचक उल्लेख किया है।

बात उन दिनों की है, जब देश में ब्रिटिश शासन था जिसमें वायसराय सबसे बड़ा और प्रमिख अधिकारी होता था। इस समय तमाम राजाओं और महाराजाओं को भी वायसराय की बात माननी पड़ती थी। उस समय लार्ड कर्जन देश के वायसराय थे। जिन्होनें देश के सभी राजा-महाराजाओं के विदेश आगमन पर पाबंदी लगाई हुई थी। हालांकि इसके बाद भी राजा बाहर चले जाते थे, लेकिन वायसराय की अनुमति लेकर।

शानोशौकत के लिए प्रख्यात थे राजा
महाराजा जगजीत सिंह अपने क्षेत्र में शानोशौकत के लिए प्रख्यात थे। जब महाराजा ने वायसराय लार्ड कर्जन से विदेश जाने की अनुमती मांगी, तो उन्हें इस शर्त पर इजाजत मिली कि वो अपने साथ कुछ सहायक लेकर यूरोप जा सकते हैं। लेकिन किसी महारानी को अपने साथ नहीं ले जा सकते हैं। वायसराय के इस आदेश से महाराजा बहुत परेशान हुए, क्योंकि उन्होंने यूरोप यात्रा में अपनी खूबसूरत रानी कनारी को साथ ले जाने की योजना बना रखी थी। 

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महाराजा अब करें तो करें क्या खैर उन्होंने इसके लिए एक तरकीब निकाली, जो कुछ अजीव और रिस्की थी। उस समय आज की तरह विदेश यात्रा पर जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती थी। दीवान जर्मनीदास ने लिखा है कि उस समय कपूरथला रियासत में उनके पिता दौलतराम दीवान हुआ करते थे। जिन्होंने राजा को मर्दाना वेशभूषा में रानी को यूरोप ले जाने की योजना बताई। पहले तो महाराजा को ये थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर वो दीवान की बात मानने के लिए तैयार हो गए।

ऐसे बनाया रानी को पुरुष
रानी कनारी ना केवल बहुत खूबसूरत थी बल्कि महाराजा भी उसे बहुत प्यार करते थे। और रानी को यूरोप की सैर कराना चाहते थे। रानी को मर्दाना वेश धरने के लिए उनको पुरुषों के अचकन, पायजामा, और पगड़ी पहनाई गई, नकली दाढ़ी चिपकाकर रानी को पूरी तरह एक सिक्ख का भेष प्रदान कर दिया गया। रानी का पूरा नाम रानी कनारी साहिबा था, वो शिमला के पास जुबल रियासत के दीवान की बेटी थीं और महाराजा जगजीत सिंह की छह रानियों में सबसे चहेती रानी थी।

...और रानी विदेश पहुंच गईं
जिस दिन महाराजा को देश से बाहर विदेश जाना था। उस दिन महाराजा और उनके सहायक, सिपाहियों के साथ रानी सिक्ख आदमी का वेश धारण किए हुए थीं। किसी को कोई भनक तक नहीं लग पायी और रानी बिना किसी परेशानी के आराम से विदेश पहुंच गईं। यूरोप पहुचनें के बाद रानी अपने वास्तविक स्वरूप में नजर आ गईं। महाराजा ने पहले से ही यूरोप में होटल बुक किए हुए थे। फ्रांस के शाही खानदानों की दावत में भी महाराजा ओर रानी आमंत्रित किए जाते थे। लेकिन वहां सभी को ये रहस्य मालूम था कि महाराजा अपनी रानी को किस तरह इंडिया से यूरोप में लेकर आए हैं। अगर महाराजा को कभी किसी सार्वजनिक प्रोग्राम में बुलाया जाता था तो रानी आदमी के रूप में ही वहां जातीं थी। इस तरह महाराजा और रानी ने कई महीने यूरोप में बिताए, हैरानी की बात तो यह है कि ब्रिटिश सरकार को इसकी जानकारी भी नहीं हो पाई।

उसी वेश में वापस भारत आईं
यूरोप से वापसी में उनका जहाज बंबई में उतरा तो वहां गर्वनर के सैनिक सचिव ने वायसराय की ओर से उनका भव्य स्वागत किया। इस स्वागत समारोह में भी पुरुष के रूप में राजा के साथ खड़ी रानी कनारी को कोई पहचान नहीं पाया। इससे पता लगता है कि तब महाराजा लोग अपनी जिद पूरी करने के लिए किस तरह ब्रिटिश शासन की आंखों में धूल झोंका करते थे।

 

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