सूरज की रोशनी के बिना ऑक्सीजन बनाने वाला ये जीव भविष्य के लिए है एक फायदेमंद खोज

अजब-गजब सूरज की रोशनी के बिना ऑक्सीजन बनाने वाला ये जीव भविष्य के लिए है एक फायदेमंद खोज

Neha Kumari
Update: 2022-01-18 11:04 GMT
सूरज की रोशनी के बिना ऑक्सीजन बनाने वाला ये जीव भविष्य के लिए है एक फायदेमंद खोज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंसान के लिए धरती पर सबसे जरूरी चीज होती है ऑक्सीजन, जिसके लिए सूरज की रोशनी काफी जरूरी है। क्या आपने सोचा है कि अगर बिना सूरज की रोशनी के कोई जीव ऑक्सीजन बना दे तो क्या होगा, क्या ऐसा हो भी सकता है? हां ऐसा हो सकता है। समुद्र की गहराइयों में मौजूद सूक्ष्म जीव जो अरबों की संख्या में होते है वो बिना सूरज की किरणों के ऑक्सीजन बना सकते है। इस खोज से भविष्य में बिना सूरज की किरणों के ऑक्सीजन का निर्माण किया जा सकता है।

इस माइक्रोब्स या सूक्ष्म जीव की खोज की जा चुकी है जो बिना सूरज की रोशनी के ऑक्सीजन बना सकते है। इन सूक्ष्य जीव का नाम है, नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस। ये सूक्ष्य जीव अंधेरे में भी जीवित रहते है और बिना सूरज की रोशनी के ऑक्सीजन बनाते है। जिनका नाम अमोनिया ऑक्सीडाइजिंग आरकिया है। बीट क्राफ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न डेनमार्क के माइक्रोबायोलॉजिस्ट ये बात पहले ही कह चुके है की सूक्ष्मजीव में बिना ऑक्सीजन के जीने की क्षमता होती है। ये एक खास तरह की जैविक प्रक्रिया से ऑक्सीजन बनाते है जिसके लिए सूरज की रोशनी की भी जरूरत नहीं है।

बीट क्राफ्ट ने बता की नाइट्रोसोपमिलस मैरिटिमस समुद्र में अधिक मात्रा में पाए जाते है। वैज्ञानिकों को भी इस बात ने हैरान कर दिया की बिना सूरज के ऑक्सीजन कैसे बनाया जा सकता है। इस बात से भी वैज्ञानिक हैरान है की समुद्र की गहराई में भी इतनी ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन कैसे होता है जबकि समुद्र की गहराई में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती। बीट ने बताया की अगर एक बाल्टी पानी लेंगे तो पानी में मौजूद जीवों में हर पांचवा जीव इस कोशिका का होगा। जांच के लिए  वैज्ञानिकों ने इस कोशिका को पानी से बाहर निकाल कर प्रयोगशाला पहुंचाया और इन्हे इसी जगह पर रखा जहां ऑक्सीजन की कमी थी साथ ही सूरज की रोशनी की भी कमी थी लेकिन फिर जो हुआ उसे देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गए।

जिओबियोलॉजिस्ट ने इस कोशिका के बारे में बताते हुए कहा है कि इस कोशिका ने खुद की ताकत से ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और उसके बाइप्रोडक्ट्स को तोड़कर बनाया। जिसके  बाद ऑक्सीजन की मात्रा चंद ही मिनटों में बढ़ना शुरू हो गई। हालांकि ऑक्सीजन की मात्रा एक आम इंसान के लिए कम थी पर सूक्ष्मजीव के लिए काफी थी। डॉन केनफील्ड ने और बताते हुए कहा कि नाइट्रोसोपुमिलस मैरिटीमस के ऑक्सीजन बनाने में सबसे बड़ा हाथ नाइट्रोजन गैस का होता है। किसी तरह ये माइक्रोब्स अमोनिया (NH 3) को नाइट्रेड में बदलते है इसके बाद नाइट्राइड और उसके बाइप्रोडक्ट से ऑक्सीजन बनाते है जो उनको ऊर्जा देता है। इससे वो खुद को बिना सुरज की रोशनी के जीवित रखते है। 

इस प्रक्रिया से सूक्ष्मजीवों के पर्यावरण में नाइट्रोजन खतम हो जाता है लेकिन ऑक्सीजन की कमी नहीं होती। ये प्रक्रिया भविष्य में हमारे लिए बहुत फायदेमंद है। हमें तब भी ऑक्सीजन बनाने में दिक्कत नहीं होगी जब सूरज नहीं आए। बीट ने ये भी कहा की इस शानदार प्रक्रिया से हम एक दूसरों के ग्रहों पर भी इसके जरिए ऑक्सीजन बना सकते है। ये जीव अरबों में समुद्र में मौजूद है। मरीन नाइट्रोजन साइकिल को ये ही बनाएं रखते है। 

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