Movie Review: प्यार की पीढ़ियों के बीच का अंतर समझाती फिल्म 'दे दे प्यार दे'

Movie Review: प्यार की पीढ़ियों के बीच का अंतर समझाती फिल्म 'दे दे प्यार दे'

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-17 03:48 GMT
Movie Review: प्यार की पीढ़ियों के बीच का अंतर समझाती फिल्म 'दे दे प्यार दे'

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। अपनी कॉमेडी फिल्मों के लिए मशहूर लव रंजन ने हमेशा अपनी फिल्मों से युवाओं का दिल जीता। उनकी फिल्म प्यार का पंचनामा, प्यार का पंचनामा 2 और सोनू के टीटू की स्वीटी से कॉमेडी का एक अलग एंगल सेट किया है। लव, अपनी कॉमेडी फिल्मों में युवाओं से संबंधित मुद्दे लेकर आते हैं। उनकी फिल्म दे दे प्यार दे में भी उन्होंने प्यार के उल्झते धागों और प्यार की पीढ़ियों के बीच अंतर को समझाया है। साथ ही उसके नजरिए पर भी बात की है। 

अजय देवगन स्टारर फिल्म दे दे प्यार दे आज रिलीज हो चुकी है। फिल्म में अजय देवगन, रकुल प्रीत सिंह, तब्बू, आलोक नाथ, जावेद जाफरी, जिमी शेरगिल और सन्नी सिंह मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म निर्देशन अकील अली ने किया है। इसका निर्माण भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, लव रंजन और अंकुर गर्ग द्वारा किया गया है। इसकी पटकथा को लव रंजन, तरुण जैन और सुरभि भटनागर ने तैयार किया है। फिल्म की कहानी की बात की जाए तो आजकल के समय में लोग अपनी फिटनेस का बहुत ध्यान रखने लगे हैं। आजकल 50 साल की उम्र के लोग भी बहुत फिट और युवा दिखाई देते हैं। साथ ही इनकी उम्मीद रहती है कि वे अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जिएं। ऐसा ही कुछ हाल फिल्म दे दे प्यार के हीरो का है। 

फिल्म की कहानी का हीरो आशीष, जो लंदन में रहता है। स्टार्ट अप्स में निवेश करता है। आयशा उसे पसंद करती है। वह भारत से लंदन पढ़ने आई है और अपने खर्चे निकालने के लिए बार में काम करती है। दोनों मिलते हैं। दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं। लेकिन बात आगे बढ़े उससे पहले आशीष उसे अपने घर वालों से मिलवाने भारत ले आता है। घरवाले यानी आशीष की पत्नी और दो बच्चे। बच्चे बड़े हो चुके हैं। बेटी की उम्र आयशा के आसपास है। आयशा और आशीष की प्रेम कहानी यहीं आकर एक भंवरजाल में उलझती है और सोचने को बहुत सारे सवाल दर्शकों को दे जाती है।

इस पूरी कहानी में लव रंजन अपने विजन पर टिके रहते हैं। वे जो दिखाना चाहते हैं, उसे दिखाने में सफल रहते हैं। लव रंजन बदलते समय के दौर की ऐसी प्रेम कहानियां पकड़ते हैं, जहां नायक आदर्शवादी न होकर यथार्थवादी होता है। वह अपने बीते हुए कल को भूलकर, सिर्फ अपना आज याद रखना चाहता है। ऐसे में जब अपने से 24 साल छोटी लड़की को वह अपनी पत्नी बनाने के मकसद से घर वालों से मिलाने लाता है तो भूचाल खड़ा हो जाता है। सवाल यहां ये है कि आखिर लोग दूसरों के सुख के लिए अपने सुख क्यों कुर्बान कर देते हैं? क्यों जमाने के पैमाने पर सही साबित होते रहने के लिए लोग अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी नहीं पाते?

फिल्म में आशीष का किरदार अजय देवगन ने निभाया है। इस किरदार में उन्होंने बहुत बड़ा रिस्क लिया है। अगर किसी ​कैरेक्टर पर रिस्क लेने की बात है तो इसमें अजय कभी पीछे नहीं रहे। भगत सिंह की बायोपिक से लेकर गोलमाल और धमाल सीरीज की फिल्मों तक अजय ने खुद को लगातार विकसित किया है। ये शायद पहली हिंदी फिल्म है जिसमें हीरो उसी उम्र का किरदार कर रहा है जिस उम्र का वह है और अपनी इस उम्र को छुपाने का उसका कोई इरादा भी नहीं है। अजय ने फिल्म में अपने किरदार को बहुत सहजता से निभाया है। वहीं रकुल प्रीत सिंह की बात करें तो इस फिल्म ने उन्हें एक बेहतर अभिनेत्री की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। फिल्म में सन्नी सिंह और जावेद जाफरी उत्प्रेरक का काम करते हैं।

साथ ही फिल्म में सुधीर चौधरी की अच्छी सिनेमैटोग्राफी और अमाल मलिक के संगीत ने भी इस कहानी को रोचक बनाने में काफी मदद की है। अरिजीत सिंह के दोनों गाने तू मिला तो है ना और दिल रोई जाए, इस सीजन के हिट गाने बनने जा रहे हैं। दे दे प्यार दे एक कॉमेडी फिल्म तो है ही साथ ही ये नए जमाने के नए सवालों का भी जवाब तलाशने की कोशिश करती है। टोटम धमाल के बाद अजय की एक और कॉमेडी फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आएगी। 

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