फिल्म 'दिल तो पागल है' ने बदली डांस के प्रति लोगों की अवधारणा- श्यामक डावर

फिल्म 'दिल तो पागल है' ने बदली डांस के प्रति लोगों की अवधारणा- श्यामक डावर

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-08 02:27 GMT

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। कोरियोग्राफर श्यामक डावर को साल 1997 में सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें फिल्म यश चोपड़ा की फिल्म "दिल तो पागल है" के लिए मिला था। यही वह फिल्म थी, जिसने डांस के प्रति लोगों की अवधारणा बदल दी।

हाल ही में श्यामक ने इस बारे में बात की और बताया कि शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर अभिनीत इस फिल्म ने भारत में डांस के प्रति लोगों की अवधारणा बदल दी। सेलकाउथ नामक अपने समकालीन डांस शो में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि दिल तो पागल है की रिलीज के बाद लोगों ने महसूस किया कि डांसिंग न ही अश्लील या भद्दी है और न ही यह कोई बुरी चीज है। हमने डांस को एक खास तरह का सम्मान दिया है, जो मेरे लिए अहमियत रखती है।

श्यामक ने याद करते हुए कहा कि इससे पहले, भारत में डांस उतना स्वीकार्य नहीं था। जो लड़के डांस करते थे उन्हें या तो लड़कियों जैसा समझा जाता था या समलैंगिक माना जाता था और डांस क्लासेज में आने वाली लड़कियों को खराब माना जाता था। यह 30 साल पहले की बात है। आज, लोग डांसिंग को अच्छा मानते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि नृत्य बेहद ही उपचारात्मक, वैज्ञानिक, स्वास्थ्यप्रद और आत्मविश्वास के निर्माण में सहायक है। अब तो बच्चे भी कम उम्र में आते हैं, उन दिनों क्लास में कोई भी बच्चा नहीं हुआ करता था।

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