EPFO में सालों से पड़ी 351 करोड़ ‘अनक्लेम्ड’ राशि, कोई नहीं है दावेदार

EPFO में सालों से पड़ी 351 करोड़ ‘अनक्लेम्ड’ राशि, कोई नहीं है दावेदार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-15 10:51 GMT
EPFO में सालों से पड़ी 351 करोड़ ‘अनक्लेम्ड’ राशि, कोई नहीं है दावेदार
हाईलाइट
  • 351 करोड़ से ज्यादा की निधि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पिछले कई सालों से पड़ी है।
  • कर्मचारी के वेतन से जो 12 फीसदी राशि ईपीएफ के नाम पर कटती है
  • वह EPFO में जमा होती है।

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जो कामगार पाई-पाई के लिए तरसता है, उसकी 351 करोड़ से ज्यादा की निधि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पिछले कई सालों से पड़ी हैं। सम्बंधित कामगार व उनके वारिसों को यह राशि मिल सकती है, बशर्ते वह जरूरी प्रक्रिया पूरी कर लें।

कर्मचारी के वेतन से जो 12 फीसदी राशि ईपीएफ के नाम पर कटती है, वह EPFO में जमा होती है। नागपुर के क्षेत्रीय EPFO कार्यालय के तहत नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, गड़चिरोली, भंडारा व गोदिया जिला आता है। नागपुर विभाग में करीब 16,000 कंपनियां व कारखाने हैं आैर इनमें से आधे से ज्यादा कंपनियां एक्टिव (सक्रिय) नहीं हैं। EPFO असक्रिय खातों पर तीन साल तक ब्याज देता है। उसके बाद इस राशि को अनक्लेम्ड की श्रेणी में डाल देता है। EPFO नागपुर विभाग के तहत 351 करोड़ से ज्यादा की निधि अनक्लेम्ड हैं।

इस राशि पर क्लेम (दावा) करने अब तक कोई नहीं पहुंच सका है। इनमें से अधिकांश पेंशनर अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके वारिस जरूरी प्रक्रिया पूरी कर यह राशि प्राप्त कर सकते हैं। केवाईसी नहीं होने से EPFO इस राशि को संबंधित कामगार के बैंक खाते में जमा नहीं कर सकते। पहले कामगारों में नियम व अधिकारों के प्रति बहुत ज्यादा सतर्कता नहीं थी। साथ ही छोटे अमाउंट के लिए कौन कागजी प्रक्रिया पूरी करेगा, यह सोचकर भी कामगार जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं करता था।

नंबरों की गड़बड़ी
इतने बड़े पैमाने पर अनक्लेम्ड राशि तैयार होने के पीछ मुख्य वजह अकाउंट नंबरों की गड़बड़ी है। तीन साल पहले तक कामगारों को पीएफ नंबर मिलते थे। कामगार जितनी कंपनियों में जाएगा, उसके उतने अकाउंट नंबर बनते थे। कामगार को जरूरी प्रक्रिया पूरी कर पुरानी कंपनियों में पड़ी राशि नए अकाउंट में स्थानांतरित करनी पड़ती थी। विशेषकर बाहर से आनेवाले कामगार छह माह एक जगह (कंपनी) काम करने के बाद दूसरी जगह (कंपनी) चले जाते थे। पुरानी राशि उसी जगह रहती थी। कामगार जब तक कंपनी या नियोक्ता से क्लेम फार्म भरकर EPFO में नहीं लाता तब तक राशि नहीं मिलती थी। एक-एक कामगार की 5 हजार से लेकर 50 हजार तक की राशि हैं आैर यह जुड़कर साढ़े तीन सौ करोड़ से ज्यादा हो गई है।

अब सभी के पास हैं UAN नंबर
अब सभी कामगारों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) मिला हुआ है। किसी भी कंपनी में कही भी जाने पर नंबर नहीं बदलता। इसलिए पुराना पैसा खुद ही जमा हो जाता है। इसके अलावा अधिकांश एक्टिव खातों का केवाईसी है। EPFO की तरफ से कंपनी को पासवर्ड मिला होता है। कंपनी इसके जरिए संबंधित कामगार की जानकारी (आधार नंबर, बैंक खाता नंबर व पैन नंबर) आनलाइन दर्ज करती है। कामगार को अब कंपनी के पास जाकर क्लेम फार्म भरने की जरूरत नहीं है। कामगार का पैसा खुद ही उसके बैंक खाते में जमा हो जाता है।

इस राशि का इस्तेमाल कहीं आैर नहीं हो सकता
यह अनक्लेम्ड राशि है। इस राशि का इस्तेमाल EPFO या सरकार कहीं आैर नहीं कर सकती। कामगारों के लिए चलाई जाने वाली कल्याण योजनाआें में भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जब UAN नंबर व केवाईसी नहीं थी, तब की यह राशि है। इनमें से अधिकांश कामगार अब यहां नहीं है। संबंधित कामगार या इनके वारिस कंपनी से क्लेम फार्म भरकर व जरूरी प्रक्रिया पूरी करके EPFO में जमा करे, तो राशि दी जा सकती हैै। EPFO तीन साल तक ही ब्याज देता है। जो राशि जमा है, इस पर ब्याज देना बंद हो गया है। यह सारे पुराने मामले होने से क्लेम देने के पूर्व सारी जरूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। जिन कामगारों की राशि पड़ी है, उनके केवाईसी उपलब्ध नहीं है।
-गोविंद शर्मा, क्षेत्रीय आयुक्त-2, EPFO नागपुर

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