जन्मदिन विशेष: पकौड़े बेचने वाले धीरू भाई ने रखी थी 'रिलायंस' की नींव, आज कंपनी की नेटवर्थ 4.31 लाख करोड़

जन्मदिन विशेष: पकौड़े बेचने वाले धीरू भाई ने रखी थी 'रिलायंस' की नींव, आज कंपनी की नेटवर्थ 4.31 लाख करोड़

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-28 05:51 GMT
जन्मदिन विशेष: पकौड़े बेचने वाले धीरू भाई ने रखी थी 'रिलायंस' की नींव, आज कंपनी की नेटवर्थ 4.31 लाख करोड़

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। अरबों का करोबार करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का आज 87 वां जन्मदिन है। धीरजलाल हीराचंद अंबानी उर्फ धीरू भाई अंबानी ऐसे बिजनेसमैन थे, जिन्होंने अपने सफर की शुरूआत 500 रुपये से की थी। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक आज रिलायंस इंडस्ट्रीज की मौजूदा नेटवर्थ 4.31 लाख करोड़ रुपए है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की नेटवर्थ में 1 जनवरी से 23 दिसंबर तक 1.17 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। एशिया के अमीरों में धीरूभाई अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज की नेटवर्थ सबसे ज्यादा बढ़ी है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना रखने वाले धीरू भाई के दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी आज रिलायंस कंपनी को संभाल रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी इस इंडस्ट्रीज के जनक धीरू भाई ने सिर्फ 10 वीं तक पढ़ाई की है। धीरूभाई अंबानी की सफलता की कहानी कुछ ऐसी है कि उनकी शुरुआती सैलरी महज 300 रुपये थी,लेकिन अपनी मेहनत के दम पर देखते ही देखते वह अरबों के मालिक बन गए।उन्हीं की राह पर चलकर आज मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी सफल बिजनेसमैन की कतार में खड़े हो गए हैं। 

धीरू भाई गुजराती परिवार से थे। उनका जन्म गुजरात के एक छोटे से गांव चोरवाड़ में 28 दिसंबर 1933 को हुआ था। पिता स्कूल में शिक्षक और मां गृहणी थी। घर के आर्थिक हालात ठीक न होने की वजह से धीरू भाई फल और नाश्ता बेचने का काम शुरू किया, लेकिन कुछ ज्यादा फायदा नहीं हुआ। उन्होंने गांव के पास एक धार्मिक स्थल पर पकौड़े बेचने का काम शुरू किया लेकिन यह काम पूरी तरह पर्यटकों पर निर्भर था, जो साल के कुछ समय तो अच्छा चलता था बाकी समय इसमें खास फायदा नहीं था। धीरू भाई अंबानी ने इस काम को भी कुछ समय बाद बंद कर दिया।

आर्थिक हालात से तंग आकर धीरू भाई ने देश छोड़ने का फैसला किया और नौकरी तलाश में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चल गए। उस वक्त उनकी उम्र महज 17 साल थी। यमन में उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह सैलरी पर काम किया। इस कंपनी का नाम था "ए. बेस्सी एंड कंपनी"। 

कंपनी ने धीरूभाई के काम को देखते हुए उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया गया।कुछ साल यहां नौकरी करने के बाद धीरूभाई साल 1954 में देश वापस चले आए। यमन में रहते हुए ही धीरूभाई ने बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था। इसलिए घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर मुंबई के लिए रवाना होना पड़ा। 

बाजार की समझ होने की वजह से धीरू भाई साल 2000 के दौरान ही देश के सबसे रईस व्‍यक्ति बनकर उभरें। उन्हें समझ में आ गया था कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की मांग है। यहीं से उन्हें बिजनेस का आइडिया मिला। उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी। 8 मई 1973 धीरू भाई ने इस कंपनी की नींव रखी। 6 जुलाई 2002 को सिर की शिरा फट जाने के कारण उनका मुंबई के एक अस्पताल में देहांत हो गया था। 

रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन कंपनी महज 350 वर्ग फुट के कमरे से अपना करोबार करती थी। इस कमरे में एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलिफोन था। उस दौर में किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ये कंपनी आज अरबों रुपयों का करोबार करेगी। धीरू भाई वह कभी भी 10 घंटे से ज्यादा काम करते थे। उन्हें पार्टी करना पसंद नहीं था। ज्यादातर समय ऑफिस और परिवार के साथ गुजरा करते थे। उन्हें ज्यादा ट्रैवल करना भी पसंद नहीं था। विदेश यात्राओं का काम ज्यादातर वह अपनी कंपनी के अधिकारियों पर टाल देते थे। वह तब ही ट्रैवल करते, जब ऐसा करना उनके लिए अनिवार्य हो जाता।

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