बर्कशियर हैथवे में हुए प्रमोशन के बाद भारत के अजीत जैन ले सकते है वारेन बफेट की जगह

बर्कशियर हैथवे में हुए प्रमोशन के बाद भारत के अजीत जैन ले सकते है वारेन बफेट की जगह

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-11 07:44 GMT
बर्कशियर हैथवे में हुए प्रमोशन के बाद भारत के अजीत जैन ले सकते है वारेन बफेट की जगह

डिजिटल डेस्क , नई दिल्ली । बर्कशियर हैथवे इंक ने बुधवार को अपने दो टॉप एग्जिक्युटिव्स ग्रेगरी एबल और भारतीय मूल के अजित जैन का प्रमोशन कर बोर्ड में शामिल किया है। वहीं संभावनाए जताई जा रही हैं कि इन दोनों में से कोई एक कंपनी के संचालन के लिए वॉरेन बफेट की जगह ले सकते है। बर्कशियर हैथवे एनर्जी के चीफ एक्जीक्यूटिव 55 वर्षीय एबेल को नॉन-इंश्योरेंस बिजनेस का वाइस चेयरमैन बनाया गया है। इंश्योरेंस कारोबार के शीर्ष एक्जीक्यूटिव 66 वर्षीय जैन को इसी कारोबार के वाइस चेयरमैन की जिम्मेदारी दी गई है। 87 वर्षीय बफेट ग्रुप के चेयरमैन और 94 वर्षीय चार्ली मुंगर चीफ एक्जीक्यूटिव बने रहेंगे। चार्ली बफेट के साथ 40 साल से जुड़े हैं। वो ग्रुप के वाइस चेयरमैन भी रहेंगे।
सेंट लुइस में वेजवुड पार्टनर्स इंक में पांच अरब डॉलर की परिसंपत्तियों का प्रबंधन संभालने वाले डेविड रोल्फ ने कहा कि यह कहना ठीक होगा कि अब ग्रुप में सिर्फ वारेन और चार्ली ही प्रमुख दिग्गज नहीं हैं। ताजा नियुक्तियों से मौजूदा कारोबार में एबेल और जैन की अहमियत पता चलती है। लेकिन उत्तराधिकारी के नाम पर पर्दा तभी उठेगा जब वारेन ये पद छोड़ेंगे।

बफेट ने एक इंटरव्यू में एबल और जैन के खून में बर्कशियर होने की बात करते हुए कहा था कि बदलाव के लिए वक्त के साथ-साथ उत्तराधिकार की ओर कदम बढ़ते रहते हैं हैं। उन्होंने एबल और जैन को अपनी कंपनी का दो प्रमुख चेहरा बताया था। उन्होंने बताया कि दोनों को वाइस चेयरमैन बनाने का आइडिया मंगर का था। बफेट ने कहा कि बर्कशियर के एक बड़े हिस्से को मैनेज करने के लिए उनकी जगह कौन लेगा, ये देखना अहम होगा। उन्होंने इसके लिए एबल और जैन के बीच घुड़दौड़ की आशंका खारिज कर दी।  

कौन है अजित जैन

66 वर्षीय अजित जैन का जन्म 1951 में भारत के ओडिशा राज्य में हुआ। 1972 में उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से ग्रैजुएशन किया और मेकनिकल इंजिनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। 1973 से 76 के बीच वह आईबीएम में सेल्समैन रहे। 1976 में आईबीएम ने भारत में अपना ऑपरेशन बंद कर दिया और जैन की नौकरी चली गई। साल 1978 में वह अमेरिका चले गए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए डिग्री लेकर मैककिंजी ऐंड कंपनी जॉइन कर ली। 80 के दशक में वह भारत लौटे और यहां शादी कर ली। फिर वह अपनी पत्नी के साथ अमेरिका लौट गए। 1986 में उन्होंने मैंककिंजी को छोड़कर वॉरने बफेट की कंपनी बर्कशियर हैथवे जॉइन कर ली। अजित जैन अभी न्यू यॉर्क में रहते हैं।

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