बजट को समझना है, तो ये 5 फाइनेंशियल टर्म्स को जरूर जान लें

बजट को समझना है, तो ये 5 फाइनेंशियल टर्म्स को जरूर जान लें

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-01 03:12 GMT
बजट को समझना है, तो ये 5 फाइनेंशियल टर्म्स को जरूर जान लें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली गुरुवार को 2018-19 के लिए बजट पेश करने वाले हैं। इस बार का बजट मोदी सरकार का आखिरी फुल बजट है, क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। तो अगले साल अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही ये कह चुके हों कि इस बार का बजट "लोकलुभावन" नहीं होगा, लेकिन चुनावी साल होने की वजह से इसकी उम्मीद बहुत ही कम है। इसके साथ ही इस साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, लिहाजा बजट के सहारे सरकार हर क्लास को टारगेट करने की कोशिश करेगी, ताकि चुनावों में उसका फायदा मिल सके। बजट गुरुवार को 11 बजे लोकसभा में पेश होगा और उससे पहले आपको बजट में इस्तेमाल होने वाले ये 5 फाइनेंशियल टर्म्स के बारे में जरूर जान लेना चाहिए, क्योंकि बजट को समझने में ये कारगर साबित होते हैं।


1. राजकोषीय घाटा : 

सरकार की सालाना इनकम के मुकाबले जब खर्च ज्यादा होता है, तो उसे राजकोषीय घाटा या फिस्कल डेफिसिट कहते हैं। इसमें कर्ज या लोन शामिल नहीं होता है। 2017 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई थी कि साल 2017-18 में राजकोषीय घाटा टोटल जीडीपी का 3.2% कम होगा।

2. डायरेक्ट टैक्स : 

डायरेक्ट टैक्स वो है, जो सरकार देश के नागरिकों से सीधे तौर पर वसूलते हैं। ये टैक्स इनकम पर लगता है और किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जाता है। डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स आते हैं।

3. इनडायरेक्ट टैक्स : 

इनडायरेक्ट टैक्स वो होता है जो किसी भी व्यक्ति को ट्रांसफर किए जा सकते हैं, जैसे किसी सर्विस प्रोवाइडर, प्रोडक्ट या सर्विस पर लगने वाला टैक्स। जीएसटी, इनडायरेक्ट टैक्स का एग्जांपल है, जिसने वैट, सेल्स, सर्विस और लग्जरी टैक्स जैसे अलग-अलग लगने वाले टैक्स की जगह ले ली है।

4. फाइनेंशियल ईयर : 

फाइनेंशियल ईयर या वित्तीय वर्ष की शुरुआत भारत में 1 अप्रैल से शुरू होती है और अगले साल के 31 मार्च तक चलता है। इस साल का बजट फाइनेंशियल ईयर 2018-19 के लिए होगा, जो 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक होगा।

5. शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गेन : 

अगर कोई व्यक्ति 1 साल से कम समय के लिए शेयर में पैसा लगाता है, तो उसे शॉर्ट टर्म गेन (अल्पकालिक पूंजीगत लाभ) कहते हैं। इस पर 15% तक का टैक्स लगता है। ठीक इसी तरह से, अगर कोई व्यक्ति 1 साल या उससे ज्यादा के लिए शेयर में पैसा लगाता है, तो उसे लॉन्ग टर्म गेन (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ) कहते हैं और इस पर टैक्स नहीं लगता है। 

Tags:    

Similar News