Economic Survey : ग्रोथ रेट 7-7.5% रहने का अनुमान, नोटबंदी के बाद बढ़े टैक्सपेयर्स

Economic Survey : ग्रोथ रेट 7-7.5% रहने का अनुमान, नोटबंदी के बाद बढ़े टैक्सपेयर्स

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-29 02:30 GMT
Economic Survey : ग्रोथ रेट 7-7.5% रहने का अनुमान, नोटबंदी के बाद बढ़े टैक्सपेयर्स

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद का बजट सेशन राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया। इसके बाद फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। इस सर्वे में आने वाले समय में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई गई है। हालांकि फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान भी जताया गया है। ये पहली बार है जब इकोनॉमिक सर्वे बजट से दो दिन पहले पेश किया जा रहा है। आमतौर पर ये सर्वे बजट से एक दिन पहले ही पेश किया जाता है। बता दें कि 1 फरवरी को जनरल बजट पेश होने वाला है।

इकोनॉमिक सर्वे के बड़ी बातें : 

  • 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7-7.5% रहने का अनुमान। 
  • 2017-18 में 6.75% हो सकती है जीडीपी ग्रोथ।
  • 2017-18 में सर्विस ग्रोथ 8.3 फीसदी रहने का अनुमान। 
  • 2017-18 में एग्रीकल्चर ग्रोथ 2.1 फीसदी रहने की उम्मीद। 
  • 2018-19 में क्रूड की कीमतों में 12% बढ़ोतरी का अनुमान। 
  • आगे रोजगार, शिक्षा और कृषि पर फोकस रहेगा।
  • जीएसटी से इनडायरेक्ट टैक्स चुकाने वालों की संख्या में 50% की बढ़ोतरी। 
  • जीएसटी और नोटबंदी के बाद करीब 18 लाख नए टैक्सपेयर्स बढ़े है।

 

 

 

राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू हुआ बजट सेशन

बजट सेशन शुरू होने से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लोकसभा और राज्यसभा के ज्वॉइंट सेशन को संबोधित किया। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि "करप्शन के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है और इसके लिए पिछले एक साल में साढ़े 3 लाख से ज्यादा कंपनियों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल किए जा चुके हैं।" उन्होंने कहा कि "जम्मू-कश्मीर में होने वाली आतंकवादी हिंसा, सीमा पार से होने वाली घुसपैठ से जुड़ी हुई है।" राष्ट्रपति ने अपमे अभिभाषण में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने पर जोर देते हुए कहा कि "बार-बार चुनाव होने से विकास की गति पर असर पड़ता है।"

पहले 28 फरवरी को पेश होता था बजट

2016 तक बजट हमेशा 28 फरवरी को ही पेश किया जाता था, लेकिन साल 2017 में मोदी सरकार ने इस परंपरा में बदलाव करते हुए इसकी तारीख 1 फरवरी कर दी थी। इसके साथ ही रेल बजट को भी पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन पिछले साल रेल बजट को भी आम बजट में शामिल करने का फैसला लिया गया था। बता दें कि पिछली साल सरकार ने जब 1 फरवरी को बजट पेश करने का फैसला लिया था, तो इसका विरोध हुआ था क्योंकि उस वक्त यूपी समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव चल रहे थे और विपक्ष ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। वहीं सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया था कि 1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत होती है। ऐसे में जल्द बजट पेश करने से समय पर धन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। इस बदलाव के साथ ही रेल बजट को भी अलग से पेश करने की परंपरा को समाप्त कर दिया गया था। रेल बजट को भी अब आम बजट में ही मिला दिया गया है।

क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे? 

दरअसल, इकोनॉमिक सर्वे में इस बात की जानकारी रहती है कि पिछले साल के बजट में सरकार ने जो घोषणाएं की थी, उनको किस तरह निभाया। इस सर्वे में पता चलता है कि सरकार ने पिछले साल कहां-कितना पैसा खर्च किया। इकोनॉमिक सर्वे में पिछले एक साल के दौरान इकोनॉमिक्स की हालत कैसी रही, उसका पूरा हिसाब रहता है। इस बार के इकोनॉमिक सर्वे में 2017-18 में हुए खर्चों का लेखा-जोखा और इकोनामिक्स की हालत के बारे में जानकारी दी जाएगी।
 

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