बुलेट ट्रेन परियोजना: जीका ने दी 6 हजार करोड़ रुपये के ऋण की तीसरी किश्त

बुलेट ट्रेन बुलेट ट्रेन परियोजना: जीका ने दी 6 हजार करोड़ रुपये के ऋण की तीसरी किश्त

IANS News
Update: 2022-07-25 15:00 GMT
बुलेट ट्रेन परियोजना: जीका ने दी 6 हजार करोड़ रुपये के ऋण की तीसरी किश्त

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीका/जेआईसीए) ने आगामी अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड रेल (बुलेट ट्रेन परियोजना) के लिए 6,000 करोड़ रुपये की तीसरी किश्त देने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने यहां सोमवार को यह जानकारी दी। जापानी येन (जेपीवाई ) 100,000-मिलियन (6,000 करोड़ रुपये) के आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) समझौते पर जीका इंडिया के वरिष्ठ प्रतिनिधि वतनबे जुन और वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव आर. के. मिश्रा ने हस्ताक्षर किए थे।

परियोजना का उद्देश्य जापान की शिंकानसेन तकनीक या बुलेट ट्रेन का उपयोग करके अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई स्पीड रेल का निर्माण करके और क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए देश में गतिशीलता को बढ़ाकर एक हाई-फ्रीक्वेंसी जन परिवहन प्रणाली (मास ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम) विकसित करना है।

जुन ने कहा कि यह परियोजना जापान के साथ भारत-जापान सहयोग का प्रतीक बन गई है, जिसमें भारत की पहली ऐसी पहल के लिए अपनी हाई स्पीड रेल तकनीक की शुरूआत की गई है, जिसकी लागत लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक का वित्त पोषण जीका से ऋण के माध्यम से किया गया है।

उन्होंने आगे कहा, हमने अब तक सिविल कार्यों में बहुत प्रगति देखी है। वह दिन आ रहा है जब परियोजना में विकसित शिंकानसेन प्रणाली स्थानीय निवासियों के लिए आय उत्पन्न करने के लिए क्षेत्र-व्यापी आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देगी। एक सुरक्षित और विश्वसनीय इंटर-सिटी परिवहन प्रणाली के साथ गतिशीलता (मोबिलिटी) को सरल बनाने और कनेक्टिविटी में आसानी के अलावा, यह सहयोग मेक इन इंडिया ड्राइव को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) सुनिश्चित करेगा। इससे पहले, 2017 में जीका ने नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जा रही 508 किलोमीटर लंबी परियोजना के लिए लगभग जेपीवाई 250,000 मिलियन (18,000 करोड़ रुपये) प्रदान किए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी पहल, बुलेट ट्रेन परियोजना को 2022 के अंत तक पूरा किया जाना था, लेकिन इस प्रोजेक्ट में गुजरात और महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों में देरी देखने को मिली है और अब अनुमान लगाया गया है कि 2028 तक यह लाइन केवल आंशिक रूप से चालू हो सकती है।

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