मंत्रिमंडल ने घरेलू कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को मंजूरी दी

फैसला मंत्रिमंडल ने घरेलू कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को मंजूरी दी

IANS News
Update: 2022-06-29 13:01 GMT
मंत्रिमंडल ने घरेलू कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को मंजूरी दी
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  • मंत्रिमंडल ने घरेलू कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को मंजूरी दी

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को बुधवार को मंजूरी दे दी। सरकार ने एक अक्टूबर से कच्चे तेल और कंडेनसेट के आवंटन को रोकने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 01 अक्टूबर 2022 से देश में उत्पादित कच्चे तेल की बिक्री के विनियमन को मंजूरी दे दी है। सरकार ने कच्चे तेल और कंडेनसेट के आवंटन को रोकने का फैसला किया है। इससे सभी अन्वेषण और उत्पादन (ई एंड पी) ऑपरेटरों के लिए स्वतंत्र रूप से विपणन कर सकेंगे।

सरकार या उसकी नामित या सरकारी कंपनियों को कच्चा तेल बेचने के लिए उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) की शर्त में तदनुसार छूट दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सभी ई एंड पी कंपनियों को अब घरेलू बाजार में अपने तेल क्षेत्रों से कच्चा तेल बेचने की आजादी होगी। सरकारी राजस्व जैसे रॉयल्टी, उपकर, आदि की गणना सभी अनुबंधों में पहले की तरह एक समान आधार पर की जाती रहेगी। उन्हें निर्यात की अनुमति नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय आर्थिक गतिविधियों को और बढ़ावा देगा, अपस्ट्रीम तेल और गैस क्षेत्र में निवेश करने को प्रोत्साहित करेगा और 2014 से शुरू किए गए लक्षित परिवर्तनकारी सुधारों की एक श्रृंखला पर आधारित होगा। अनुराग ठाकुर ने कहा कि व्यवसाय करने में आसानी और ऑपरेटरों/उद्योग को परिचालन संबंधी अधिक लचीलेपन की सुविधा पर ध्यान केंद्रित करते हुए तेल और गैस के उत्पादन, बुनियादी ढांचे एवं विपणन से संबंधित नीतियों को और अधिक पारदर्शी बनाया गया है।

सरकार ने पिछले आठ वर्षों में (ई एंड पी क्षेत्र में कई सुधार किए हैं, जैसे गैस के लिए मूल्य निर्धारण और विपणन स्वतंत्रता, प्रतिस्पर्धी ई-बोली प्रक्रिया के माध्यम से गैस की कीमत का पता लगाना, हाइड्रोकार्बन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) के तहत राजस्व साझेदारी अनुबंध की शुरूआत आदि। बोलियों के अनेक दौर के माध्यम से बड़ी संख्या में ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 2014 से पहले दिए गए क्षेत्र की तुलना में क्षेत्रफल का आवंटन लगभग दोगुना हो गया है।

सोर्स: आईएएनएस

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