ब्लैकमनी पर सरकार का बड़ा एक्शन, 1.20 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल

ब्लैकमनी पर सरकार का बड़ा एक्शन, 1.20 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-17 07:20 GMT
ब्लैकमनी पर सरकार का बड़ा एक्शन, 1.20 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ब्लैकमनी पर केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार फिर बड़ा एक्शन लिया है। सरकार ने मंगलवार को नियमों का पालन नहीं करने के कारण 1.20 लाख शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का फैसला लिया है। इससे पहले सरकार दिसंबर 2017 तक 2.26 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर चुकी है और साथ ही इन कंपनियों से जुड़े 3.09 लाख डायरेक्टर्स को डिसक्वालिफाय किया जा चुका है।


रिव्यू मीटिंग में लिया गया फैसला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को स्टेट कॉरपोरेट मिनिस्टर पीपी चौधरी ने अधिकारियों के साथ अन-रजिस्टर्ड कंपनियों पर हुए एक्शन की जानकारी के लिए एक रिव्यू मीटिंग की। इस मीटिंग में पीपी चौधरी ने अधिकारियों को इन कंपनियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने को कहा है। इस मीटिंग के बाद सरकार ने और 1.20 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने का फैसला लिया। सरकार के इस कदम के बाद इन 1.20 लाख कंपनियों को सरकारी रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।

तेजी से एक्शन लिया जाए

वहीं मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे स्टेट कॉरपोरेट मिनिस्टर पीपी चौधरी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो रिकॉर्ड से हटाई गईं इन कंपनियों के खिलाफ तेजी से एक्शन लें। मिनिस्ट्री ने एक बयान जारी कर जानकारी दी है कि कंपनियों ने नियमों का अनदेखा किया और पालन नहीं किया, जिसके बाद सरकार ने 1.20 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन करने का फैसला लिया है।

128 कंपनियों को किया बहाल

मिनिस्ट्री की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के बाद इन कंपनियों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में 1,157 केस फाइल किए थे। NCLT ने इनमें से 180 कंपनियों को बहाल करने पर विचार करने को कहा था, जिसमें से 128 कंपनियों को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनिज़ (ROC) ने बहाल कर दिया है।

190 केस को निपटाया गया

इस प्रेस रिलीज में आगे बताया गया है कि "कंपनियों के डायरेक्टर्स को डिसक्वालिफाय किए जाने के संबंध में 992 केस अलग-अलग हाईकोर्ट्स और कोर्ट्स में हैं। इनमें से 190 केसेस को निपटाया जा चुका है।" मिनिस्ट्री ने ये भी कहा है कि "कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने से कंप्लायंस (अनुपालन) का ट्रेंड बढ़ा है और साथ ही एनुअल रिटर्न और स्टेटमेंट फाइल करने के लिए पहले से ज्यादा कंपनियां आगे आ रही हैं।"

Similar News