छत्तीसगढ़ ने रुख सख्त किया, एनएमडीसी लिमिटेड कठिन दौर में

छत्तीसगढ़ ने रुख सख्त किया, एनएमडीसी लिमिटेड कठिन दौर में

IANS News
Update: 2020-06-15 17:30 GMT
छत्तीसगढ़ ने रुख सख्त किया, एनएमडीसी लिमिटेड कठिन दौर में

रायपुर, 15 जून (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की लौह अयस्क खनन कंपनी एनएमडीसी लिमिटेड के खिलाफ अपना रुख सख्त कर दिया है और राज्य के दंतेवाड़ा जिले में बैलाडिला पहाड़ी पर स्थित विशाल खनन परिसर में लीज एरिया के बाहर लौह अयस्क जमा करने पर कंपनी को नोटिस जारी कर दिया है।

दंतेवाड़ा जिला कलेक्टर ने एनएमडीसी लिमिटेड के बचेली और किरांदुल खनन परिसरों को एक अलग से नोटिस जारी कर दिया है, जिसमें खदान के पट्टे वाले इलाके से बाहर अवैध तरीके से नियमों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन करते हुए लौह अयस्क जमा करने का आरोप लगाया गया है।

यह नोटिस तब जारी किया गया है, जब राज्य सरकार के खनन विभाग ने पिछले सप्ताह लगातार दो दिनों तक एनएमडीसी लिमिटेड के बचेली और किरांदुल परिसरों का अचानक निरीक्षण किया था। दोनों खनन परिसर कंपनी के वार्षिक कुल लौह अयस्क उत्पादन में लगभग 75 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

यह नोटिस 12 जून को जारी किया गया था और एनएमडीसी लिमिटेड को जवाब के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है। राज्य सरकार की कार्रवाई से लौह अयस्क का शिपमेंट पूरी तरह रुक गया है।

छत्तीसगढ़ सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की भारत की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनी के बीच विवाद तब शुरू हुआ, जब कंपनी ने पिछले साल के अंत में अपने खनन पट्टे को 2035 तक विस्तारित कराने के दौरान राज्य सरकार से जो वादे किए थे, उसे पूरा करने से इंकार कर दिया।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार के साथ शत्रुतापूर्ण रवैया अख्तियार किए हुए है और एनएमडीसी लिमिटेड इस बीच में फंस गई है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस्पात मंत्री धर्मेद्र प्रधान को पिछले महीने एक सख्त पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने उन्हें सलाह दी थी कि वह एनएमडीसी लिमिटेड को निर्देश दें कि वह राज्य को किए गए अपने वादे को अधिक जिम्मेदारी के साथ पूरा करे।

एनएमडीसी लिमिटेड देश में लौह अयस्क की तीन खदानें संचालित करती है, जिसमें से दो छत्तीसगढ़ में हैं और तीसरी खदान कर्नाटक में है। कंपनी छत्तीसगढ़ में 1960 के दशक से लौह अयस्क का खनन कर रही है।

एनएमडीसी लिमिटेड की भाजपा शासित कर्नाटक सरकार के साथ भी एक कानूनी लड़ाई चल रही है, जिसने दोनीमलाई खदान के लिए कंपनी का पट्टा रद्द कर दिया है और उत्पादन बहाल करने की कंपनी की पूरी कोशिश अभी तक बेकार साबित हुई है।

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