Edible oil prices: खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण, एक साल में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि

Edible oil prices: खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण, एक साल में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि

Bhaskar Hindi
Update: 2020-11-20 04:49 GMT
Edible oil prices: खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण, एक साल में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि
हाईलाइट
  • खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण
  • पिछले एक साल में सभी खाद्य तेलों की कीमतों में 20-30 प्रतिशत की वृद्धि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए चिंता का कारण बन गई हैं। पिछले एक साल में सभी खाद्य तेलों - मूंगफली, सरसों, वनसपती, सोयाबीन, सूरजमुखी और ताड़ के औसत दामों में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  सूत्रों ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह के समक्ष इस मुद्दे को उठाया गया था। उन्होंने कहा कि लगभग 30,000 टन के आयात के कारण प्याज की कीमतें कम हो गई हैं और आलू की कीमतें स्थिर हो गई हैं, खाद्य तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मॉनिटरिंग सेल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि सरसों के तेल की औसत कीमत 120 रुपए प्रति लीटर है। पिछले साल ये 100 रुपए प्रति लीटर थी। वनस्पती के मामले में एक साल पहले के 75.25 रुपए के मुकाबले कीमतें बढ़कर 102.5 प्रति किलोग्राम हो गई हैं। सोयाबीन तेल का औसत मूल्य 110 प्रति लीटर है, जबकि 2019 में 18 अक्टूबर को औसत मूल्य 90 था। सूरजमुखी और ताड़ के तेल के मामले में भी यही रुझान रहा है।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में पिछले छह महीनों में पाम तेल उत्पादन में कमी अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि के पीछे एक कारण है। देश में लगभग 70% पाल ऑइल का उपयोग प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्रि करती है, जो सबसे बड़े थोक उपभोक्ता है। इंडस्ट्रि के सूत्रों ने कहा कि अब सरकार पर निर्भर करता है कि क्या पाम ऑइल के आयात शुल्क को कम किया जाए, यह देखते हुए कि पाम ऑइल की कीमतों में वृद्धि सीधे अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर प्रभाव डालती है।

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