Air India : एयरलाइन में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, जारी किए बिड डॉक्यूमेंट

Air India : एयरलाइन में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, जारी किए बिड डॉक्यूमेंट

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-27 04:15 GMT
हाईलाइट
  • सरकार ने एयर इंडिया में 100% हिस्सेदारी बिक्री के लिए बिड डॉक्यूमेंट जारी किए
  • करोड़ों के कर्ज में डूबी एयरलाइन में सरकार को लंबे समय से नुकसान हो रहा है
  • सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को नेशनल कैरियर एयर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन जारी किया। बता दें कि करोड़ों के कर्ज में डूबी एयरलाइन में सरकार को लंबे समय से नुकसान हो रहा है। इस वजह से सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है।

क्या कहा गया है बिड डॉक्यूमेंट में?
बिड डॉक्यूमेंट के अनुसार, रणनीतिक विनिवेश के हिस्से के रूप में सरकार एयर इंडिया लो कॉस्ट एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और जॉइंट वेंचर AISATS में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री भी करेगी। एयरलाइन का मैनेजमेंट कंट्रोल भी बिडर को ट्रांसफर किया जाएगा। सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) जमा करने की समय सीमा 17 मार्च निर्धारित की है। EY एयर इंडिया विनिवेश प्रक्रिया के लिए लेनदेन सलाहकार है।

एयरलाइन पर 60,000 करोड़ का कर्ज
कुछ दिन पहले एक अधिकारी ने कहा था कि एयरलाइन पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन सरकार अभी भी विनिवेश के तौर-तरीकों पर काम कर रही है। यदि जून तक खरीददार नहीं मिला तो एयर इंडिया का हाल भी जेट एयरवेज जैसा हो सकता है। अधिकारी ने कहा था "12 विमानों को दोबारा उड़ाने के लिए भी फंड की जरूरत है। टुकड़ों में व्यवस्था से अधिक दिन तक काम नहीं चलेगा।" हालांकि एयर इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अश्विनी लोहानी ने एयरलाइन के ऑपरेशन बंद होने की खबरों को निराधार बताया था।

2017 में मिली थी विनिवेश की मंजूरी
बता दें कि सरकार ने 2017 में एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी, केंद्र सरकार ने कहा था कि एयर इंडिया के विन‍िवेश के लिए बोली लगाई जाएगी। इसके लिए सरकार ने बाकायदा अर्नेस्ट एंड यंग को ट्रांजैक्शन एडवायजर के तौर पर नियुक्त किया था। लेकिन किसी भी कंपनी ने खरीद में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद भी सरकार ने विनिवेश की कोशिश जारी रखी लेकिन अभी तक सरकार को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।

केंद्र सरकार ने 2007 में एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय किया था जिसके बाद से एयर इंडिया के बुरे दिन शुरू हुए। दोनों कंपनियों के विलय के वक्त संयुक्त घाटा 770 करोड़ रुपये था, जो विलय के बाद बढ़कर के 7200 करोड़ रुपये हो गया। एयर इंडिया ने घाटे की भरपाई के लिए अपने तीन एयरबस 300 और एक बोइंग 747-300 को 2009 में बेच दिया था। 

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