चार अलग-अलग भागों में बंट कर बिकेगी एयर इंडिया 

चार अलग-अलग भागों में बंट कर बिकेगी एयर इंडिया 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-16 08:13 GMT
चार अलग-अलग भागों में बंट कर बिकेगी एयर इंडिया 


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । देश में इकलौती सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेचने की पूरी तैयारी कर ली गई है। सरकार जल्द ही इसे चार हिस्सों कोर एयरलाइन्स बिजनेस, रीजनल आर्म, ग्राउंड हैंडलिंग और इंजीनियरिंग ऑपरेशंस में बांटा जाएगा। ब्लूमबर्ग में सोमवार को आई रिपोर्ट में बताया गया कि भारत सरकार के जरिए प्रस्तावित विनिवेश योजना के हिस्से के रूप में एयर इंडिया को चार अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करेगा। एयर इंडिया में विनिवेश से ज्यादा रकम पाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने इस बात की जानकारी दी है। सिन्हा ने कहा कि ये प्रक्रिया 2018 के अंत तक पूरी कर ली जाएगी। 

इस महीने एयर इंडिया को लेकर एक और बड़ा फैसला किया गया है। पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एयर इंडिया में 49% तक एफडीआई की अनुमति देना का निर्णय किया गया। जिससे विदेशी विमानन कंपनियों के एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि एयर इंडिया पर मालिकाना नियंत्रण किसी भारतीय का ही रहेगा।

ऐसे होगा एयर इंडिया का बंटवारा

कंपनी को मुख्य एयरलाइन कारोबार, क्षेत्रीय शाखाएं, जमीनी परिसंचालन और इंजीनयिरिंग परिचालन के हिस्से में बांटा जाएगा। मुख्य एयरलाइन कारोबार में एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल है, जिन्हें एक कंपनी के तौर पर पेश किया जाएगा। सिन्हा ने कहा कि सरकार एयरइंडिया के सामान्य कर्ज का वहन करेगी।

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जल्द होगी बंटवारे की घोषणा

इससे पहले भी बीते हफ्ते नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने बताया था कि अगले 6 से 8 महीनों में कंपनी की बोली की घोषणा हो जाएगी। उसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी करने और कंपनी की संपत्ति ट्रांसफर करने में कुछ महीने का वक्त लगेगा।

मसौदे में क्या है?

15 जनवरी को संसद की एक समिति की इस संबंध में एक बैठक हुई, जो काफी हंगामेदार रही। बैठक में कुछ सदस्यों ने एयर इंडिया के विनिवेश का विरोध करने वाली मसौदा रिपोर्ट को वापस लेने की मांग की जिस पर विपक्ष के कुछ सदस्य विरोध जताते हुए बैठक से बाहर चले गए। समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा था कि एयर इंडिया में हिस्सेदारी को बेचने का सही समय नहीं है और एयरलाइन को फिर से खड़ा होने के लिए कम से कम पांच साल दिए जाने चाहिए। 31 सदस्यीय समिति के 16 सदस्यों ने मसौदा रिपोर्ट को अपनाने पर लिखित में अपना विरोध दर्ज कराया था। इनमें से अधिकतर सदस्य सत्ताधारी बीजेपी के हैं जो एयर इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में हैं।

दरअसल, नौ दशक पहले शुरू हुई एयर इंडिया की आर्थिक स्तिथि पिछले दस सालों में काफी बिगड़ी है। एयरलाइंस का घाटा लगातार बढ़ रहा है। जिसके बाद सरकार ने एयर इंडिया में एफडीआई का फैसला किया है। मार्च 2017 के अंत में एयर इंडिया का कुल कर्ज 48,877 करोड़ रुपये था, जिसमें से 17,360 करोड़ रुपये विमान ऋण था और 31,517 करोड़ रुपये पूंजीगत ऋण था।

 

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