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Update: 2018-09-28 13:02 GMT
हाईलाइट
  • RBI NBFCs के नए आवेदन की मंजूरी के नियमों को भी कड़ा कर रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्ज अदायगी में असफल रही इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंसिंग ऐंड लीजिंग सर्विसेज लिमिटेड (ILFS) ने पूरे नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल सेक्टर में भूचाल ला दिया दिया है। अब इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि पर्याप्त पूंजी न होने के कारण रेग्युलटर्स 1500 छोटी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) के लाइसेंस कैंसिल कर सकते हैं। इसके साथ ही RBI नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के नए आवेदन की मंजूरी के नियमों को भी कड़ा कर रहा है। हालांकि RBI ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

पिछले शुक्रवार को, एक बड़े फंड मैनेजर ने होम लोन प्रदाता कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के जारी किए गए शॉर्ट-टर्म बॉन्ड को बड़े डिस्काउंट पर बेच दिया था, इससे नगदी संकट की समस्या बढ़ने का डर पैदा हो गया है। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर और बंधन बैंक के नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन हारुन राशिद खान ने कहा, जिस तरह से चीजें सामने आ रही हैं, वह निश्चित रूप से चिंता का कारण है।

इससे नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल सेक्टर की कंपनियों की संख्या घट सकती हैं। उन्होंने कहा "कुल मिलाकर बात यह है कि उन्हें अपने ऐसेट-लाइबिलिटी मिसमैच (पूंजी और कर्ज में भारी अंतर) पर ध्यान देना होगा।" उन्होंने यह बात इस संदर्भ में कही कि कुछ कंपनियों ने लोन छोटी अवधि के लिए लिए थे जबकि उन्हें राजस्व की जरूरत लंबे समय तक के लिए है।

ऐसे में अब गांवों और कस्बों में कर्ज देनेवाली हजारों छोटी-छोटी हाई रिस्क कंपनियों पर पूरा ध्यान चला गया है। इस क्षेत्र में अब 22.1 लाख करोड़ रुपये की संयुक्त बैलेंस शीट वाली 11,400 से अधिक कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों पर बैंकों की तुलना में बहुत कम कानूनी नियंत्रण है। यह कंपनियां नए निवेशकों को आकर्षित कर रही है। बैंकों के मुकाबले नॉन-बैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों की लोन बुक भी तेजी से बढ़ी है। यह लगभग दोगुनी गति से बढ़ी है। इस क्षेत्र की ILFS जैसी बड़ी कंपनियों को टॉप क्रेडिट रेटिंग्स भी मिलती रही है। ऐसे में अब सवाल उट रहे हैं कि इन्हें टॉप क्रेडिट रेटिंग्स कैसी दी गई।

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