MODI@4 : आर्थिक मोर्चे पर कितनी सफल रही सरकार

MODI@4 : आर्थिक मोर्चे पर कितनी सफल रही सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-24 19:42 GMT
MODI@4 : आर्थिक मोर्चे पर कितनी सफल रही सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को 26 अप्रैल को चार साल पूरे हो जाएंगे। इन चार सालों में देश ने कई सारे आर्थिक बदलाव देखे। कुछ समझदारी भरी आर्थिक नीतियां आईं और कुछ ऐसे फैसले किए गए, जिनसे इकोनॉमी और देश की जनता को दर्द झेलना पड़ा। सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म सिस्टम, पुराने दिवालियापन कानून का नया रूप, पुराने रुके हुए प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करना कुछ ऐसी चीजें है जो चार सालों में देखने को मिली। अर्थव्यवस्था के नजरिए से मोदी सरकार का प्रदर्शन कैसा रहा पढ़िेए इस रिपोर्ट में।

9 फीसदी तक भी पहुंची जीडीपी
पीएम मोदी के जीडीपी कैलकुलेट करने के तरीके में बदलाव करने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त तेजी आई। पिछले चार साल के दौरान एक बार जीडीपी ग्रोथ 9 फीसदी तक भी पहुंची। इन चार साल के दौरान लंबा समय ऐसा भी रहा कि भारत ने जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार में चीन को भी पीछे छोड़ने का काम किया। वहीं देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए विश्व बैंक, आईएमएफ समेत कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था से तेज ग्रोथ मिलने की उम्मीद जाहिर की है। पिछले डेढ़ साल से इकनॉमी नोटबंदी और जीएसटी के झटकों से उबरने में लगी है। नोटबंदी से कैश की किल्लत पैदा हो गई और इससे ट्रांजेक्शन को झटका लगा, जबकि जीएसटी से भी ग्रोथ में उथल-पुथल का आलम रहा।

महंगाई में आई गिरावट
2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती महंगाई दर थी। पिछले चार साल में महंगाई में गिरावट आई है और यह स्थिर हो गई है। इसकी एक बड़ी वजह कच्चे तेल के दाम में गिरावट थी। मोदी सरकार बनने के तुरंत बाद अप्रैल 2014 में खुदरा महंगाई दर 8.33 फीसदी पर थी। अप्रैल 2017 में महंगाई दर घटकर 2.99 फीसदी पर पहुंच गई। वहीं अप्रैल 2018 में खुदरा महंगाई दर 4.58 फीसदी पर है। सरकार ने महंगाई को नियंत्रण करने वाली नीति अपनाई है और मोनिटरी पॉलिसी कमेटी के फ्रेमवर्क की ओर बढ़ी है। इससे विदेशी निवेशकों की नजर में हमारी इकनॉमी की साख बढ़ी है।   

रोजगार के मोर्चे पर फेल
मोदी सरकार का एक बड़ा वादा था कि वह हर साल 1 करोड़ रोजगार पैदा करने में मदद करेगी। 2014 में यूपीए सरकार की हार के पीछे अहम कारणों में बढ़ती बेरोजगारी शुमार थी। लेकिन बीते चार साल के दौरान मोदी सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी के आंकड़ों में सुधार का इंतजार जारी रहा। सरकार प्रॉविडेंट फंड के आंक़ड़े के जरिये साबित करना चाहती थी कि सितंबर 2017 और फरवरी 2018 के बीच ही 31 लाख नई नौकरियां पैदा की गई हैं, लेकिन सरकार के इस दलील लोगों को सहमत नहीं कर पाई। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2018 आते-आते भारत दुनिया में सर्वाधिक बेरोजगारों वाला देश बन चुका है। 

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