डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अब सोशल मीडिया से भी कर चोरों का पता लग जाएगा। इसके लिए सरकार सोशल मीडिया एनालिसिस कराने जा रही है। इस महत्वाकांक्षी पहल के लिए लार्सन एंड टुब्रो (LT) इंफोटेक को 650 करोड़ रुपये का प्रोजक्ट दिया गया है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक संजय जलोना ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘यह वास्तव में एक एडवांस एनालिसिस होगा। अब यह हमारे लिए 100 मिलियन डॉलर यानी करीब 650 करोड़ रुपये का सौदा है। यह कोई छोटा प्रोजक्ट नहीं हैं।’
जलोना के अनुसार, उनकी कंपनी को यह प्रोजेक्ट केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से मिला है। यह बहुत बड़ा डिजिटल सौदा है। इस प्रोजेक्ट में आर्थिक वेब पेज तैयार किए जाएंगे। इन वेब पेजों को ऐसे तैयार और चिह्नित किया जाएगा कि कंप्यूटर इसे अपने आप पढ़ पाने में सक्षम होगा।
किस प्रकार से करेगा काम ?
जलोना के अनुसार, ‘हम किसी व्यक्ति को लेकर व्यवस्थित वेब पेज तैयार करेंगे। मान लीजिए, यदि उसकी पत्नी घूमने के लिए सेशेल्स गई है और उसने अपनी तस्वीरें इंस्टाग्राम पर अपलोड की हैं तो हम इसका पता लगा लेंगे। यह अपने आप में एक बेहतरीन और हाईटैक टैकनॉलजी होगी।
भारत जीडीपी के मुकाबले कम कर संग्रह वाले देशों में शामिल
सरकार ने देश में कर संग्रह बढ़ाने के लिए सबसे बढ़िया डाटा एनालिसिस का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। अन्य देशों की तुलना में भारत जीडीपी के मुकाबले सबसे कम कर संग्रह करने वाले देशों में शामिल है।
पिछली महीने की एक रिपोर्ट के मुताबिक, LT को यह ठेका कई वर्षों के लिए मिला है और कंपनी इसके लिए तकनीक का Construction work और Information transfer खुद करेगी।
नोटबंदी के बाद से टैक्स प्रणाली को अच्छा बनाने के लिए प्रयास
बीते साल नवंबर में नोटबंदी के एलान के बाद सरकार ने एडवांस तकनीक का इस्तेमाल कर टैक्स प्रणाली में व्याप्त खामियों को दुरुस्त करने के कई प्रयास किए हैं। इस वर्ष जून में रिजर्व बैंक ने यह मान लिया था कि चलन से बाहर किए गए नोटों में से 99 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में लौट चुके हैं। इसके बाद से सरकार ने टैक्स सिस्टम को पुख्ता बनाने के अतिरिक्त प्रयास शुरू कर दिए। सरकार ने जिन नोटों को चलन से बाहर किया था वह कुल करेंसी का 87 फीसदी थे।