आरसीईपी मसले पर कृषि मंत्री ने कहा, किसानों का हित सर्वोपरि

आरसीईपी मसले पर कृषि मंत्री ने कहा, किसानों का हित सर्वोपरि

IANS News
Update: 2019-10-08 14:00 GMT
आरसीईपी मसले पर कृषि मंत्री ने कहा, किसानों का हित सर्वोपरि

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश के किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के मोदी सरकार के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रयासरत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि देश के किसानों का हित सर्वोपरि है।

तोमर ने यह बात डेरी उत्पादों को रीजनल कांप्रिहेंसिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) के दायरे में लाने के संबंध में आईएएनएस द्वारा पूछे गए एक सवाल पर कही।

आईएएनएस ने मंत्री ने जानना चाहा कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी के दायरे में लाने के प्रस्ताव पर कृषि मंत्रालय की क्या राय है? इस पर उन्होंने कहा, हमारे लिए देश के किसानों का हित सर्वोपरि है और हमने आरसीईपी के मसले पर अपने विचार से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को अवगत करा दिया है।

उन्होंने कहा, हमारी कोशिश रहती है कि हमारे उत्पादों को किसी अन्य देशों के उत्पादों से नुकसान न हो।

आरसीईपी में आसियान के 10 सदस्य देशों के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। इस समूह के देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत अंतिम चरण में है।

डेरी उत्पादकों को आशंका है कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल किए जाने से आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात शुल्क मुक्त दूध का पॉउडर व अन्य दुग्ध उत्पाद भारत आएगा, जो काफी सस्त होगा। इससे देश के डेरी उत्पादकों व किसानों को नुकसान होगा।

स्वेदशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने आईएएनएस को बताया कि देश में इस समय दूध उत्पादक किसानों को दूध से औसतन 28-30 रुपये प्रति लीटर दाम मिल रहा है, लेकिन न्यूजीलैंड से सस्ता दूध का पॉउडर व अन्य उत्पाद आने से उनको दूध पर यह भाव भी नहीं मिल पाएगा।

महाजन ने कहा कि यह देशभर के करोड़ों किसानों के हितों का सवाल है, इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

इससे पहले उन्होंने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, डेयरी में संलग्न लाखों गुजराती बहनों ने अपने नरेंद्र भाई को पोस्टकार्ड लिखा, आरसीईपी को रोकें और उनकी जीविका को बचाएं।

राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष दिलीप रथ ने एक दिन पहले सोमवार को आईएएनएस से खास बातचीत में कहा था कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल किए जाने से दूध का उत्पादन करने वाले देश के 6.5 करोड़ पशुपालक किसान प्रभावित होंगे।

भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।

दिलीप रथ ने बताया कि पिछले साल 2018-19 में भारत में दूध का उत्पादन 18.77 करोड़ टन हुआ था, जोकि कुल वैश्विक उत्पादन में 21 फीसदी है और देश में दूध का उत्पादन सालाना आठ फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

रथ ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में डेरी उद्योग का अहम योगदान होगा, क्योंकि किसानों को धान और गेहूं के उत्पादन का जितना दाम मिलता है, उससे ज्यादा दाम दूध के उत्पादन से मिलता है।

उन्होंने बताया, साल में दूध के कुल उत्पादन का मूल्य 3,14,387 करोड़ रुपये है, जोकि धान और गेहूं के कुल उत्पाद के मूल्यों के योग से ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि दूध और दूध से बनने वाले उत्पाद किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक प्रमुख जरिया है।

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