क्रूड ऑयल के लिए डॉलर में भुगतान करना रूपए को बना रहा कमजोर 

क्रूड ऑयल के लिए डॉलर में भुगतान करना रूपए को बना रहा कमजोर 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-11 09:13 GMT
क्रूड ऑयल के लिए डॉलर में भुगतान करना रूपए को बना रहा कमजोर 
हाईलाइट
  • इसके गिरने की एक अहम वजह ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि।
  • कच्चा तेल खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है। ये सबसे बड़ा कारण है रुपए में गिरावट का।
  • डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का दौर जारी है।
  • भारत में इस समय निर्यात की तुलना में आयात ज्‍यादा हो रहा है।
  • रुपया 67.37 पर पहुंच गया है
  • जो कि बीते 15 महीने का सबसे निचला स्‍तर है।
  • रुपये में गिरावट का एक बड़ा कारण डॉलर की बढ़ती डिमांड भी


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का दौर जारी है। रुपया 67.37 पर पहुंच गया है, जो कि बीते 15 महीने का सबसे निचला स्‍तर है। बीते एक सप्‍ताह से रुपया लगातार 15 महीने के नए निचले स्‍तर को छू रहा है। मतलब कि गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। रूपए की कमजोरी पर सबसे बड़ा सवाल ये है आखिर क्यों रूपया गिर रहा है? आइए जानते है उन कारणों को जिससे रूपया दिन ब दिन कमजोर हो रहा है। दरअसल इसके गिरने की एक अहम वजह ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि। कच्चा तेल खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है। ये सबसे बड़ा कारण है रुपए में गिरावट का। 

ट्रंप का ईरान के साथ समझौते तोड़ना पड़ सकता है भारत को भारी

वहीं पिछले कुछ समय से लगातार कच्‍चे तेल के दामों में तेजी आ रही है। हाल में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते तोड़ने का ऐलान कर डाला। इसके चलते कच्‍चे तेल के दाम करीब ढाई फीसदी तक बढ़ गए। क्रूड ऑयल 77 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। ऐसी आशंका है कि कच्‍चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के पार भी जा सकते हैं। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले दिनों में रुपया और गिर सकता है।

रुपये में गिरावट का एक बड़ा कारण डॉलर की बढ़ती डिमांड भी है। मसलन अगर कच्‍चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो डॉलर की डिमांड स्‍वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। इसके अलावा एक कारण यह भी है कि भारत में इस समय निर्यात की तुलना में आयात ज्‍यादा हो रहा है। जब भी आप आयात करते हैं आपको डॉलर ज्‍यादा खरीदना पड़ता है। जाहिर है ऐसे में करंसी मार्केट में डॉलर का प्रभाव बढ़ता है और रुपये में गिरावट आती है।

 

 

फॉरेन इन्वैस्टर्स ने निकाले करीब साढ़े 3 अरब डॉलर 

रुपए में गिरावट का एक कारण यह भी है कि फॉरेन इन्वैस्टर्स अपने शेयर और बांड्स बेच रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक फॉरेन इन्वैस्टर्स अब तक साढ़े 3 अरब डॉलर मार्केट से निकाल चुके हैं। आसान शब्दों में कहें तो मार्केट में जब पैसा कम आए तो रुपया कमजोर हो जाएगा।

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