वित्त मंत्रालय ने निवेशकों को बताए बिटकॉइन के जोखिम, कहा- पोंजी स्कीम है ये

वित्त मंत्रालय ने निवेशकों को बताए बिटकॉइन के जोखिम, कहा- पोंजी स्कीम है ये

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-29 17:19 GMT
वित्त मंत्रालय ने निवेशकों को बताए बिटकॉइन के जोखिम, कहा- पोंजी स्कीम है ये

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिटकॉइन की ओर निवेशकों का बढ़ता रूझान देखकर भारत सरकार ने अलर्ट जारी किया है। वित्त मंत्रालय ने निवेशकों को आगाह करते हुए कहा  है कि बिटकॉइन में निवेश खतरे से खाली नहीं है। डिजिटल करंसी की ओर बढ़ती दीवानगी को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह एक पोंजी स्कीम की तरह है। वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर साफ किया है कि इस तरह की करंसी को कानूनी मान्यता नहीं मिली है और न ही इसकी सुरक्षा की कोई गारंटी है।

डिजिटल करंसी या कह सकते हैं बिटकॉइन को डिजिटल रूप में स्टोर किया जाता है, जिससे हैकिंग, वायरस के हमले या पासवर्ड खो जाने का जोखिम बना रहता है। इन दिनों बिटकॉइन अपनी बढ़ी हुई कीमतों को लेकर सुर्खियों में ज्यादा है, लेकिन सरकार ने साफ किया है कि बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरंसी के दाम अटकलों पर आधारित हैं। क्रिप्टोकरंसी एक डिजिटल मुद्रा होती है। वास्तविक तौर पर क्रिप्टोकरंसी का कोई वजूद नहीं होता यह बस डिजिटल लेन-देन के लिए उपयुक्त होती है। मंत्रालय का कहना है कि इस तरह की मुद्रा का कोई वास्तविक मूल्य नहीं है और न ही इसके पीछे कोई संपत्ति का आधार होता है।

सरकार ने ग्राहकों और खासकर खुदरा ग्राहकों को इसके प्रति चौकन्ना रहने की हिदायत दी है। मंत्रालय ने कहा है कि बिटकॉइन या ऐसी अन्य वर्चुअल करंसी पोंजी स्कीम की तरह है, जिनके इस्तेमाल से मेहनत की कमाई बर्बाद होने का रिस्क बना रहता है। सरकार की ओर से कहा गया है कि अभी सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक ने इस इस तरह की क्रिप्टोकरंसी को मंजूरी नहीं दी है। डिजिटल करंसी को क्रिप्टोकरंसी भी कहते हैं।

वित्त राज्यमंत्री पी. राधाकृष्णन ने लोकसभा में बताया कि आर्थिक मामलों के विभाग ने एक समिति का गठन कर दुनियाभर में बिटकॉइन या इसी तरह की क्रिप्टोकरंसी के नियमन और कानूनी ढांचे का अध्ययन किया और इसके नियमन के लिए एक ढांचा खड़ा करने के सुझाव भी दिए। समिति ने इस बारे में रिपोर्ट दे दी है जिस पर सरकार विचार कर रही है। मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया कि क्रिप्टोकरंसी धारकों, उपयोक्ताओं और कारोबारियों को पहले ही आरबीआइ से तीन दफा इसके जोखिमों के बारे में चेतावनी दी जा चुकी है। केंद्रीय बैंक भी समय-समय इसके जोखिमों के बारे में आगाह करती रहती हैं।

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