आईआईटी: देश की पहली घरेलू जीन थेरेपी का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया शुभारंभ

  • आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल ने साथ आकर पाई सफलता
  • घरेलू जीन थेरेपी का राष्ट्रपति ने शुभारंभ किया

Tejinder Singh
Update: 2024-04-04 14:46 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में कैंसर के इलाज के लिए बनी भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी राष्ट्र को समर्पित की। काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी थेरेपी की औपचारिक शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में यह बड़ी सफलता है। सुलभ और सस्ती थेरेपी होने के चलते यह पूरी मानवता के लिए उम्मीद की नई किरण है और जल्द ही इसे देशभर के अस्पतालों में उपलब्ध करा दिया जाएगा, जिससे बड़ी संख्या में मरीजों को नई जिंदगी मिलेगी।

आईआईटी बॉम्बे में विकसित की गई थेरेपी का खर्च दूसरे देशों के मुकाबले 90 फीसदी तक कम है और यह दुनिया की सबसे सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का बड़ा उदाहरण है। जनहित के लिए जिस तरह अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज संस्थान साथ आए हैं यह शिक्षा संस्थानों और इंडस्ट्री की भागीदारी का सराहनीय उदाहरण है।

इस मौके पर उपस्थित राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि यह सफलता देश को विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की दिशा में एक ठोस कदम है। इस उपलब्धि पर आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल को बधाई देता हूं। यह थेरेपी बाल कैंसर रोगियों के लिए एक वरदान की तरह आई है। एक अनुमान है कि 2025 तक देश में कैंसर के मामले 15.7 लाख तक पहुंच सकते हैं।

चंद्रयान की तरह है यह सफलता

सफलता से उत्साहित आईआईटी बॉम्बे के निदेशक सुभासिस चौधरी ने कहा कि जिस तरह चंद्रयान के चांद पर सफल लैंडिंग के बाद भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया उसी तरह सीएआर-टी सेल थेरेपी से भारत ने सेल और जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना मुकाम बना लिया है। पश्चिमी देशों ने इस तरह के इलाज का खर्च 4 करोड़ रुपए है जबकि अब भारत में इसमें सिर्फ 30 लाख रुपए खर्च होंगे।

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