नाराजगी: जाति वैधता प्रमाणपत्र का मामला ,कोर्ट ने कहा- यही व्यवहार रहेगा, तो अवमानना की कार्रवाई करेंगे

  • हाई कोर्ट ने दी चेतावनी
  • प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के सदस्याें ने मांगी माफी
  • छात्रा वैष्णवी ने 2019 में हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका

Anita Peddulwar
Update: 2024-02-17 09:23 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाई कोर्ट के दंडात्मक कार्रवाई के डर से एक छात्रा को जाति वैधता प्रमाणपत्र देने का चंद्रपुर अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति ने कारण बताया था। इस मामले में कोर्ट ने समिति के सदस्यों को समन जारी करते हुए कोर्ट में हाजिर रहने का आदेश दिया था। इसके चलते शुक्रवार को हुई सुनवाई में समिति के सदस्य राजेंद्र चौधरी, दिगांबर चव्हाण और गजानन फुंडे ने कोर्ट में उपस्थित होकर माफी मांगी। इस पर हाई कोर्ट ने समिति के सदस्यों को चेतावनी दी कि अगर वे इसी तरह का व्यवहार जारी रखेंगे तो उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी।

प्रमाणपत्र के लिए आवेदन : वैष्णवी केशव जांभुले (रा. कोरांबी, ता. नागभीड़ जिला. चंद्रपुर) नामक छात्रा ने नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है। 2018 में वैष्णवी ने चंद्रपुर अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति को जाति वैधता प्रमाणपत्र के लिए अावेदन किया, लेकिन समिति ने वैष्णवी को प्रमाणपत्र नहीं दिया। तब वैष्णवी ने 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की। वैष्णवी ने पिता व भाई के पास जाति वैधता प्रमाणपत्र होने का आधार दिया था, इसलिए कोर्ट ने मामले को वापस समिति के पास भेजने और योग्यता के आधार पर निर्णय लेने का आदेश दिया था। 

डर के कारण दिया प्रमाणपत्र : 2022 में समिति ने वैष्णवी को जाति वैधता प्रमाणपत्र देते समय अपने आदेश में उल्लेख किया था कि हाई कोर्ट समय-समय पर 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक की दंडात्मक कार्रवाई करती है, इसी डर के कारण छात्र को जाति वैधता प्रमाणपत्र दिया जा रहा है। यह आदेश समिति द्वारा अपलोड किया गया। जब इस आदेश का प्रिंटआउट निकाला गया, तो यह सब मामला सामने आया। वैष्णवी ने समिति के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। समिति का यह मामला कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। कोर्ट ने समिति के सदस्य चौधरी, चव्हाण और फुंडे को शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाजिर रहने का आदेश दिया था। 

याचिका का हुआ निपटारावैष्णवी ने 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर : न्या. अविनाश घरोटे और न्या. मुकुलिका जवलकर के समक्ष सुनवाई हुई। तब समिति के तीनों सदस्यों ने कोर्ट में हाजिर होकर माफी मांगी। हाई कोर्ट ने सदस्यों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने ऐसी गलती दोहराई, तो अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी। इस पर उन्होंने शपथपत्र दिया कि आदेश में हुई गलती को सुधार कर आदेश अपलोड कर दिया जाएगा। हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया। वैष्णवी की ओर से एड. सुनील खरे ने पैरवी की।

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