हथकरघा के 371 पूर्व कर्मियों को मिलेगा 5वें वेतन का लाभ, CM के निर्देश

हथकरघा के 371 पूर्व कर्मियों को मिलेगा 5वें वेतन का लाभ, CM के निर्देश

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-03 07:38 GMT
हथकरघा के 371 पूर्व कर्मियों को मिलेगा 5वें वेतन का लाभ, CM के निर्देश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र राज्य हथकरघा महामंडल से स्वेच्छानिवृत्त (वीआरएस) हुए 371 कर्मचारियों की पांचवां वेतन आयोग का लाभ देने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंजूर करते हुए इस संबंध में वित्त विभाग को निर्देश जारी किए हैं। विधायक विकास कुंभारे के प्रयास से हथकरघा महामंडल कर्मचारी संघर्ष संगठन के प्रतिनिधियों की 9 अगस्त को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बैठक हुई थी। बैठक में राज्य के वस्त्रोद्योग मंत्री सुभाष देशमुख, अपर मुख्य सचिव (वित्त), वस्त्रोद्योग विभाग के सचिव, सह सचिव, सहप्रबंध संचालक, उपसचिव, भाजपा हलबा आघाड़ी नागपुर के पुरुषोत्तम सेलुकर उपस्थित थे। 

हथकरघा महामंडल के 371 कर्मचारियों ने 1 जनवरी 1996 से 31 मार्च 2008 तक काम किया था। इस दौरान पांचवां वेतन आयोग लागू हो गया था। वीआरएस लिए इन कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल सका था। कर्मचारी संघर्ष संगठन लंबे समय से पांचवे वेतन आयोग का लाभ देने की मांग कर रहा था। कई बार सरकार को निवेदन भी दिए गए थे। मुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने वित्त विभाग को निर्देश दिए कि, वीआरएस लिए कर्मचारियों को चौथे वेतन आयोग के अनुसार लाभ दिया गया था। पांचवे वेतन आयोग के अनुसार जितना लाभ देना बनता है, वह इन कर्मचारियों को देने की दिशा में कदम उठाए जाएं। यह राशि सानुग्रह अनुदान के रूप में देने को कहा। बैठक में कर्मचारी संघर्ष संगठन नागपुर के कार्याध्यक्ष गणेश नगरधनकर, सचिव जनार्दन जुनघरे, चंद्रशेखर उकेश, रमेश लिमजे, चंद्रभान मोहाडीकर, पुरुषोत्तम मोहाडीकर उपस्थित थे। 

ऊर्जामंत्री ने दिया आश्वासन कहा-सौर बिजली उत्पादन पर अधिभार लगाने का निर्णय जनहित में होगा
महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा सौर बिजली उत्पादन पर 1.25 रु. प्रति यूनिट का अधिभार लगाने का प्रस्ताव महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग को दिया है। इस संदर्भ में विदर्भ टैक्सपेयर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने अध्यक्ष जेपी शर्मा की अध्यक्षता में ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से भेंट कर ज्ञापन सौंपते हुए एमएसईडीसीएल के इस प्रस्ताव का विरोध किया। साथ ही वीटीए ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी ज्ञापन प्रेषित किया। 

जेपी शर्मा ने कहा कि विभिन्न फायदों के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा महाराष्ट्र ऊर्जा विकास एजेंसी के माध्यम से इसका दृढ़ता से नेतृत्व किया जा रहा है, ऐसे में एमएसईडीसीएल का यह प्रस्ताव समझ से परे है। वीटीए के सचिव तेजिंदर सिंह रेणु ने कहा कि, छत पर सोलार यूनिट के लिए उपयोगकर्ता द्वारा छत की जगह व ऊर्जा सहित संपूर्ण व्यय किया जाता है, इसके अतिरिक्त उपयोगकर्ता मीटर के साथ ही वायरिंग का खर्च भी स्वंय ही करता है। सौर ऊर्जा यह एक प्राकृतिक संसाधन हैं व इस पर सभी का समान अधिकार है। सौर बिजली उत्पादन पर ऐसा कोई शुल्क पेश नहीं किया जाना चाहिए, जिससे नागरिकों में गलत संदेश जाए।

ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने वीटीए के सुझाव की प्रशंसा करते हुए इस विषय पर एमईआरसी के सदस्य मुकेश खुल्लर से चर्चा की व कहा कि, राज्य सरकार सौर बिजली को बढ़ावा दे रही है। अधिमार का इस प्रस्ताव सही नहीं है। उन्होंने आश्वस्त किया कि, ऊर्जा मंत्रालय इस बारे में जल्द ही कार्यवाही कर जनता के हित में निर्णय लेगा। इस दौरान वीटीए के प्रतिनिधि मंडल में कोषाध्यक्ष पवन चोपड़ा, सहसचिव हेमंत त्रिवेदी, कार्यकारिणी सदस्य राजेश कानुनगो, तारक चावला, मुनिश मालेवार उपस्थित थे।
 

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