बगैर बाढ़ के ही बहे धान के 51 हजार बोरे!

तुमसर बगैर बाढ़ के ही बहे धान के 51 हजार बोरे!

Tejinder Singh
Update: 2022-08-29 12:56 GMT
बगैर बाढ़ के ही बहे धान के 51 हजार बोरे!

डिजिटल डेस्क, तुमसर. तहसील में विगत दिनों मूसलाधार बारिश के चलते भीषण बाढ़ की स्थिति निर्माण होकर सर्वत्र हाहाकार मचा था। इस बीच तहसील के पिपरा गांव के धान खरीदी केंद्र में बाढ़ के पानी से एक-दो नहीं तो तकरीबन 51 हजार धान के बोरे बह जाने की घटना सामने आने पर ग्रामीणों से लेकर अधिकारी भी अचरज में पड़ गए हैं। बताया जाता है कि यहां गांव में बाढ़ का पानी आया ही नहीं, तो केवल धान खरीदी केंद्र ही बाढ़ का शिकार कैसे हुआ? ऐसा सवाल उठाते हुए इस संपूर्ण प्रकरण की जांच की मांग की जा रही हंै। इधर, शासन के करोड़ों रुपयों के कर्ज के बोझ तले दबे धान खरीदी केंद्र के संचालक ने तहसील में अगस्त माह में आई बाढ़ का फायदा उठाते हुए शासन के करोड़ों रुपए लौटाने से बचने के लिए यह तरकीब अपनाई है, ऐसी चर्चा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार तुमसर तहसील में अगस्त माह में बाढ़ की स्थिति निर्माण होकर किसानों तथा नागरिकों को भारी नुकसान सहना पड़ा है। ऐसे में तहसील के ग्राम पिपरा के धान खरीदी केंद्र के संचालक ने 10 अगस्त को पिपरा गांव में बाढ़ आने से संपूर्ण धान खरीदी केंद्र ही बह जाने की जानकारी राजस्व विभाग को दी। पश्चात तहसीलदार बालासाहेब टेले के आदेश पर पंचनामा किया गया। आरोप है कि केंद्र संचालक के कहने के अनुसार पंचनामा किया गया। तथा पटवारी के.वी. क्षीरसागर एवं निरीक्षक अधिकारी वानखेडे ने 51 हजार धान के बोरे बाढ़ में बहने तथा चार हजार से अधिक बोरों का धान सड़ने की रिपोर्ट बनाई है। जबकि गांववासियों के अनुसार यहां गांव में बाढ़ का पानी पहुंचा ही नहीं। ऊपर से पिपरा गांव में धान खरीदी केंद्र ऊंचाई पर स्थित हैं और वहां पानी पहंुचता तो संपूर्ण गांव ही पानी के नीचे चला जाता। ऐसे में पटवारी और निरीक्षक अधिकारी द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट के संबंध में तहसीलदार टेले से पूछे जाने पर उन्होंने यह मामला जिला पणन विभाग का होने की बात कहते हुए हाथ खड़े किए हंै। वहीं दूसरी ओर इस प्रकरण की जांच करने की मांग हो रही है। 

केंद्र संचालक पर हैं करोड़ों बकाया

ग्राम पिपरा के धान खरीदी केंद्र के संचालक पर शासन के करोड़ों रुपए बकाया है, ऐसे में बाढ़ की आपदा का दिखावा कर पुराने गोदाम से सड़े हुए धान लाकर बाढ़ से नुकसान होने का दिखावा किया गया, ऐसा आरोप ग्रामीणों ने लगाया है। ऐसे में वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले का संज्ञान लेने की जरूरत हंै। 
 

 

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