सात साल की लाडली की दास्तां, एक कंधे पर 3 साल की बहन, तो दूसरे कंधे पर 70 साल की दादी

सात साल की लाडली की दास्तां, एक कंधे पर 3 साल की बहन, तो दूसरे कंधे पर 70 साल की दादी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-19 14:59 GMT
सात साल की लाडली की दास्तां, एक कंधे पर 3 साल की बहन, तो दूसरे कंधे पर 70 साल की दादी

डिजिटल डेस्क, मंडला। सिर से पिता का साया का उठा, मां भी साथ छोड़कर चली गई। सात साल की लाडली जिसके खेलने की उम्र हैं वह अपनी 3 साल की छोटी बहन की देख रेख के साथ-साथ बीमार दादी की भी सेवा करती है। मामला है मध्य प्रदेश के मंडला जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर दूर मवई वनाचंल के नुनसरई का, जहां 7 साल की मासूम दोनों कंधों पर परिवार का बोझ उठा रही है, लेकिन नन्ही जान के चेहरे पर शिकन तक नहीं है।

दादी की तबियत भी रहती है खराब
जानकारी के मुताबिक मवई विकासखंड के ग्राम नुनसरई में रामप्यारी 7 वर्ष, रामदीन 8 वर्ष और छोटी 3 साल के माता-पिता नहीं है। इनके सिर पर सिर्फ बुजुर्ग दादी का हाथ है, लेकिन तबियत खराब होने के चलते दादी भी इनकी मदद नहीं कर पा रही है। ऐसे में 7 वर्ष की नन्हीं मासूम रामप्यारी पर पूरे घर की जिम्मेदारी आन पड़ी है। गांव की इतवारो बाई, चंदर सिंह, फगोती बाई ने बताया कि मासूम सुबह 6 बजे रोजमर्रा के काम के लिए उठती है। गौशाला में काम निपटाने के बाद घर के काम करती है। बर्तन, कपड़ा भोजन के बाद 500 मीटर दूर नदी से पीने का पानी भी लेकर आती है। बर्तन धोने भी इतनी ही दूर जाना पड़ता है।

छोटी बहन का रखती है पूरा ध्यान
तीन साल की बहन छोटी की भी जिम्मेदारी इसी नन्हीं जान पर है। उसके खाने, पहनने से लेकर सारे काम रामप्यारी परिवार के बड़े सदस्यों की तरह कर रही है। छोटी को मां की कमी महसूस नहीं होने दे रही है। जिस नन्हीं जान की जिम्मेदारी खुद माता-पिता पर होनी थी वह मुसीबतों का पहाड़ ढो रही है। रामप्यारी घर के काम के अलावा खेत में भी काम करने तैयार रहती है। बोझा ढोना, निंदाई करना भी इसे बड़े अच्छे से आता है। इसके बाद स्कूल भी जा रही है। रामप्यारी कक्षा तीन में अध्ययनरत है। स्कूल जाते समय अपनी बहन को साथ लेकर चलती है। पढ़ाई के साथ-साथ बहन की परवरिश पर भी पूरा ध्यान दे रही है। सुबह से लेकर रात तक मेहनत करने वाली नन्हीं जान पर जरा भी थकान की सिकन दिखाई नहीं देती। इनका दर्द देखकर हर किसी की आंखो में आंसू छलक आते हैं।

पिता की मौत के बाद मां छोड़ गई
इन मासूम बच्चो के पिता मंगल सिंह की मौत चार साल पहले हो गई। इस दौरान रामप्यारी रामदीन और सम्मर को दुनियादारी की बिल्कुल समझ नहीं थी। छोटी मां के पेट में थी और मां दोनो बच्चो को छोड़कर चली गई। मायके में छोटी को जन्म दिया और इसे भी बेसहारा छोड़कर काम करने छत्तीसगढ़ चली गई। रामप्यारी की दादी बुद्धन बाई छोटी को अपने पास ले आई, लेकिन उम्र के तकाजे के कारण उस पर तीन बच्चो की जिम्मेदारी नहीं संभल रही। जिसके बाद रामप्यारी ने सारा बोझ अपने सिर ले लिया।

भाई की हो गई मौत
दो साल पहले रामप्यारी को बिल्कुल भी समझ नहीं थी। तीन साल के छोटे भाई सम्मर की भी देखरेख करनी पड़ती थी। नदी किनारे नहाने के दौरान सम्मर डूब गया और रामप्यारी समझती रही कि भाई सो रहा है। शाम को जब दादी आई तो देखा सम्मर मौत की नींद सो गया था। बिन मां-बाप के रामप्यारी ने एक भाई खोने के बाद छोटी बहन का हाथ कभी नहीं छोड़ा अब चौबीस घंटे उसी की पहरेदारी करती है।

खेती के काम मेें रामदीन की रूचि
आठ साल का रामदीन पिता के ना होने के कारण खेती का काम करता है। दादी के साथ खेत पहुंचता है। दादी बैलो को हांकती है तो रामदीन हल थामता है। इसे खेतीबाड़ी में रूचि है। यहां वनांचल होने के कारण खेतो में बंदर और जंगली जानवरो की आमद होती है। स्कूल जाने से पहले और आने के बाद रामदीन इन जंगली जानवरो से खेत की फसल को बचाते हुए रखवाली करता है।

इनका कहना है
मामला संज्ञान में आया है, बच्चो की बाल संरक्षण विभाग से जो भी मदद होगी की जाएगी।
प्रशांत ठाकुर, बाल संरक्षण अधिकारी, मंडला

मामला जानकारी में आया है, पंचायत की ओर से हरसंभव मदद करेंगे, अभी तक इसकी जानकारी नहीं थी।
शीतल मरकाम, सहायक सचिव, ग्राम पंचायत अमवार

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