लोकतंत्र और विकास के लिए मैराथन, नक्सल प्रभावित इलाकों के 73 युवा भी दौड़े

लोकतंत्र और विकास के लिए मैराथन, नक्सल प्रभावित इलाकों के 73 युवा भी दौड़े

Tejinder Singh
Update: 2018-01-21 14:26 GMT
लोकतंत्र और विकास के लिए मैराथन, नक्सल प्रभावित इलाकों के 73 युवा भी दौड़े

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुष्यंत मिश्र। गडचिरोली और गोंदिया जिलों में नक्सली समस्या का सामना कर रही पुलिस ने अब यहां के युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए खास पहल शुरू कर दी है। रविवार को हुई 11वीं मुंबई मैराथन में ऐसे 73 युवा भी शामिल हुए जो नक्सल प्रभावित इलाकों के हैं। इनमें 17 लड़कियां भी शामिल थीं। गडचिरोली परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) अंकुश शिंदे ने युवाओं को इस मैराथन में शामिल होने के लिए न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि खुद भी उनके साथ इसका हिस्सा बनें।


नक्सल प्रभावित इलाके शिक्षा और विकास की दौड़ में पिछड़े

शिंदे ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाके शिक्षा और विकास की दौड़ में पिछड़े रह जाते हैं। इसीलिए वहां के युवा भी मुख्यधारा से कट जाते हैं। नक्सली नहीं चाहते कि इलाके का विकास हो और इलाके के युवा शिक्षित हो क्योंकि पढ़े लिखे युवाओं को बहकाकर अपने साथ जोड़ना उनके लिए मुश्किल होता है। इसलिए पुलिस अब कोशिश कर रही है कि प्रभावित इलाकों के युवाओं को मुख्यधारा में शामिल किया जाए। शिंदे ने कहा कि हमने मुंबई मैराथन में नक्सल प्रभावित युवाओं के साथ मैराथन दौड़ने का फैसला किया। लेकिन यह आसान नहीं था। इसके लिए काफी तैयारी करनी पड़ी।


प्रतिभावन युवाओं को मौके दिलाने की कोशिश

इलाके में कई दौड़ आयोजित की गई, जिससे उन युवाओं की पहचान की गई। जो मैराथन का हिस्सा बन सकें। इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग दी गई और प्रैक्टिस कराई गई। इसी का नतीजा था कि 73 युवा रन फॉर डेमेक्रेसी एंड डेवलपमेंट का नारा देते हुए मैराथन  का हिस्सा बनें। शिंदे ने कहा कि नक्सल प्रभावित युवाओं को गरीबी और पिछड़ेपन से निकालने और प्रतिभावन युवाओं को मौके दिलाने के लिए भी पुलिस प्रयासरत है। इसके तहत पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर से भी मदद मांगी गई है। हमारी कोशिश है कि वेंगसरकर अपनी क्रिकेट अकादमी में नक्सल प्रभावित इलाकों के प्रतिभाशाली क्रिकेटरों को ट्रेनिंग दें। 

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