9 मंजिला इमारत में आग के बाद कमजोर होने का खतरा, होगी जांच

9 मंजिला इमारत में आग के बाद कमजोर होने का खतरा, होगी जांच

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-11 06:04 GMT
9 मंजिला इमारत में आग के बाद कमजोर होने का खतरा, होगी जांच

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किंग्सवे रोड पर परवाना भवन सहित किंग्सवे हॉस्पिटल की नौ मंजिला इमारत में लगी आग तो बुझ गई, लेकिन इस आग ने इमारत की उम्र को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन को संदेह है कि जिस तरह की यह आग लगी थी, उससे कहीं न कहीं इमारत कमजोर हुई है। आग की लपटों ने इमारत के स्लैब, कॉलम और बीम को नुकसान पहुंचाया है। इससे भविष्य में इमारत पर खतरा मंडरा सकता है। ऐसे में मनपा के आपदा नियंत्रण विभाग द्वारा इस संबंध में मंगलवारी जोन को पत्र लिखकर अपने इंजीनियरों से स्ट्रक्चर स्टेबिलिटी की जांच कराने का निर्णय लिया है। जल्द इस संबंध में जोन कार्यालय को पत्र जारी किया जाएगा। आपदा नियंत्रण विभाग ने यह जांच होने तक इमारत मालिक को जिस जगह आग लगी थी, वहां काम बंद रखने की भी सलाह दिया है। पूरी इमारत ही अब संदेह के घेरे में आ गई है। 

दो बार बदली गई बिल्डिंग की उपयोगिता 
किंग्सवे रोड स्थित यह इमारत परमवीर संचेती के नाम पर दर्ज है। कुल 5501.130 वर्गमीटर क्षेत्रफल में यह जगह है और 29.95 मीटर ऊंची इमारत है। परवाना भवन सहित किंग्सवे हॉस्पिटल का संपूर्ण हिस्सा एक ही इमारत में है। पीछे का कुछ हिस्सा परवाना भवन के ऑडिटोरियम को दिया गया है, बाकी संपूर्ण इमारत में हॉस्पिटल का निर्माणकार्य जारी है, हालांकि इमारत के लिए दमकल विभाग की एनओसी ली गई है। 2006 में पहली बार एनओसी ली गई थी। यह एनओसी ऑफिस बिल्डिंग के लिए थी, लेकिन 2014 में बिल्डिंग की उपयोगिता बदली गई। 2014 में दोबारा एनओसी के लिए आवेदन किया गया। यह एनओसी हॉस्पिटल बिल्डिंग के लिए ली गई थी। इस बीच नक्शा मंजूरी के लिए नये सिरे से नगररचना विभाग में प्रस्ताव जमा किया गया है। एनओसी के लिए दमकल विभाग को भी फाइल भेजी गई है।

जगह पर नहीं थे सुरक्षा के उपाय 
फिलहाल आग के बाद दमकल विभाग सहित आपदा नियंत्रण विभाग ने अपनी जांच तेज कर दी है। जांच में कई गंभीर खामियां भी मिलीं। सूत्रों ने बताया कि इमारत में बड़े पैमाने पर काम शुरू था। वेल्डिंग समेत विविध प्रकार के काम चल रहे थे। ऐसे में जगह-जगह ज्वलनशील पदार्थ रखे थे। इसे देखते हुए इमारत प्रबंधक को वहां आग से बचने के  सुरक्षा उपाय योजना करने चाहिए थे। कामगारों को हेलमेट, जैकेट देना जरूरी था। इसके अलावा वहां फायर उपकरण, पोर्टेबल इंस्टीग्यूशर, वॉटर बेस फायर फाइटिंग इक्वीपमेंट रखना जरूरी थी, ताकि आपदा के समय उस पर नियंत्रण कर सकें। लेकिन घटनास्थल पर इसमें से कोई भी उपकरण या उपाय योजना नहीं किए गए थे। ऐसे में आग को फैलने में मदद मिली। मजदूरों में अफरा-तफरी मची।

जोन से जांच करवाएंगे 
आग भीषण थी। बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। धुएं की भयावहता से अनुमान लगाया जा सकता है। इससे बिल्डिंग का स्ट्रक्चर कमजोर होने की आशंका बढ़ गई है। जल्द संबंधित जोन को पत्र जारी कर स्ट्रक्चर स्टेबिलिटी की जांच कराई जाएगी। 
- राजेंद्र उचके, मुख्य अधिकारी, आपदा नियंत्रण विभाग 

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