मां को जंजीरों से बांधकर रखता है ये गरीब बेटा, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

मां को जंजीरों से बांधकर रखता है ये गरीब बेटा, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-28 12:07 GMT
मां को जंजीरों से बांधकर रखता है ये गरीब बेटा, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

डिजिटल डेस्क, टीकमगढ़। गरीबी के कारण उपचार न मिलने से 70 वर्षीय ननिया बाई लोहे की जंजीरों में जकड़ी हुई है। 3 जून 2016 को पति नथुवा ढीमर की आकस्मिक मौत के गहरे सदमे से वह सुद-बुध भूल गई। आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार जिला अस्पताल तक ही उपचार करा सका। बार-बार घर से कहीं भी निकल जाने के बाद परिजन तलाश में परेशान होते रहते थे। वाहनों के सामने आ जाने के कारण वह कितने ही बार हादसे का शिकार होते-होते बची। जिसके कारण वाहन चालक-मालिकों ने कई बार उसके बेटे सुरेश से मारपीट कर दी। आए दिन की मुसीबतों से तंग आकर बेटे ने लोहे की जंजीर और ताले से मां को बंधक बनाकर रखा है। मामला बल्देवगढ़ ब्लॉक की अहार ग्राम पंचायत अंतर्गत मदनसागर गांव का है। जहां शासन की तमाम जनहितकारी योजनाएं सफेद हाथी साबित हो रही हैं।

मदन सागर गांव निवासी ननिया बाई के परिवार में बेटा सुरेश, बहू हल्लीबाई, पोता सुरेश, सुनील, पौत्र बहू प्रीति और परपोता आकाश (3 माह) हैं। परिवार के पास एक एकड़ से भी कम कृषि भूमि है। गरीबी से जूझ रहा यह परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ का मोहताज है। सुरेश ढीमर ने बताया कि मनरेगा का जॉब कार्ड तो है, लेकिन ग्राम पंचायत से कभी काम नहीं मिलता है। गांव के लोगों के यहां जरूर महीने में करीब 10 दिन मजदूरी मिल जाती है। इसी में गुजर-बसर करना पड़ता है। परिवार की माली हालत खराब है, इसलिए कहीं बाहर मां का इलाज कराने का समर्थ नहीं है। उसने बताया कि बड़ी मुश्किल से ही परिवार का भरण पोषण हो पाता है। 

रोजगार के अभाव ने बढ़ाई परिवार की गरीबी
परिवार गरीब है, लेकिन सूची में नाम नहीं। इसलिए राशन कार्ड भी नहीं बनाया गया है। ऐसे में बेहद जरूरतमंद और चाहकर भी यह परिवार सरकार द्वारा सस्ता राशन (खाद्यान) उपलब्ध कराने की योजना का लाभ नहीं ले पा रहा है। शासन ने विधवा पेंशन में गरीबी रेखा की अर्हता अप्रैल माह से खत्म कर दी थी, लेकिन ननिया बाई को पेंशन आज तक नसीब नहीं हुई। जबकि सुरेश ने मां को विधवा या वृद्धावस्था पेंशन दिलाने के लिए पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक कई बार आवेदन दिए हैं।

ग्राम पंचायत सचिव चतुर्भुज रजक का कहना है कि गरीबी रेखा सूची में शामिल होने के लिए परिवार ने तहसील में आवेदन नहीं दिया। करीब एक माह पहले पेंशन का प्रकरण तैयार किया गया है। बैंक खाता खुलते ही राशि जारी की जाएगी। जहां तक मनरेगा में काम की बात है तो जब काम होता है तो ग्रामीणों को काम पर लगाया जाता है।

मां को मजबूरी में बांधी जंजीर
पड़ोसी राधा रैकवार ने बताया कि कहीं भी चले जाने की आदत से ननिया बाई का पूरा परिवार परेशान रहता है। गर्मी के मौसम में वह कहीं चली गई थी। 10 दिन तक पूरे परिवार और मोहल्ले के लोगों ने तलाश की। तब कहीं जाकर नदी के किनारे ननिया बाई बेहोश पड़ी मिली थी। ननिया की बहू हल्ली बाई ने बताया कि परिवार का एक न एक सदस्य हमेशा मां की निगरानी करता रहता है। हम लोग मजदूरी करने इसलिए बाहर भी नहीं जा पाते हैं। जब घर पर कोई नहीं रहता, तब मजबूरी में लोहे की जंजीर से ताला लगाकर बांधना पड़ता है कि वह कहीं भाग न जाएं।

इनका कहना है
सिविल कोर्ट के अनुसार मानसिक विक्षिप्त लोगों को शासन द्वारा उपचार में मदद दी जाती है, लेकिन आवेदन नहीं आया होगा। मैंने जानकारी की है, महिला की विधवा पेंशन स्वीकृत हो चुकी है। उसका खाता नंबर मांगा गया है।
अभिजीत अग्रवाल, कलेक्टर, टीकमगढ़
 

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