बुआई हुई 50 फीसदी, किसानों को कर्ज वितरण देने में प्रशासन की लेटलतीफी

बुआई हुई 50 फीसदी, किसानों को कर्ज वितरण देने में प्रशासन की लेटलतीफी

Anita Peddulwar
Update: 2018-06-26 07:17 GMT
बुआई हुई 50 फीसदी, किसानों को कर्ज वितरण देने में प्रशासन की लेटलतीफी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मृग नक्षत्र के साथ किसान बुआई शुरू कर देते हैं। मृग नक्षत्र को 20 दिन बीत जाने के बावजूद क्षेत्र के किसानों को कर्ज वितरण में सरकारी विभाग से टालमटोल किया जा रहा है। बता दें कि जिले में अब तक करीब 50 फीसदी तक रोपाई का कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि 12 जून से बारिश नदारद है। कड़ी धूप पड़ रही है। इसलिए किसानों के खेतों में बुआई कर चुके बीज सड़ गए है। जहां-जहां बीज अंकुरित हुए थे, वहां अधिक तापमान के चलते वह झुलस चुके हैं।

बारिश जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में होने की आशंका मौसम विशेषज्ञों ने व्यक्त की है। ऐसे में सरकार की ओर से घोषित किए गए कर्ज वितरण की प्रक्रिया धीमी होने के कारण काटोल व नरखेड़ के 8000 किसानों पर अन्याय हो रहा है। यह आरोप पूर्व विधायक सुनील शिंदे ने लगाया है।

मौसम विभाग का अनुमान निकला गलत
शिंदे ने बताया कि मौसम विभाग की गलत भविष्यवाणियों के कारण किसानों को बीते 3 वर्ष से नुकसान झेलना पड़ रहा है। गलत बयानी के कारण किसान समय से पूर्व बीज, खाद व कृषि संबंधित वस्तुएं खरीदते है। इससे कृषि सामग्री उत्पादक कंपनियों को काफी मुनाफा होता है और किसानों पर दोबारा बुआई का संकट मंडराने से वे कर्ज के बोझ तले दब जाते है। गलत भविष्यवाणियों से किसान ठगे से महसूस कर रहे है।

काटोल व नरखेड़ तहसील में संतरे के बगीचे है, बढ़ते तापमान के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है। जिन किसानों ने बीते वर्ष कर्ज चुकाया, ऐसे काटोल निवासी 5312 किसानों में से मात्र 271 किसानों में 1 करोड़ 47 लाख रुपए का कर्ज बांटा गया। वहीं नरखेड तहसील के 6128 किसानों में से महज 250 किसान सदस्यों को ही 2 करोड़ 62 लाख रुपयों का कर्ज दिया गया।

कर्जमाफी धारकों को नहीं मिला नया कर्ज
इस वर्ष काटोल तहसील के 3800 और नरखेड़ तहसील के 4000 किसान सदस्यों को कर्जमाफी का लाभ मिला, लेकिन इन 7800 किसानों को नए कर्ज नहीं मिल पाए है। इसके चलते संबंधित किसान जहां साहूकारों के चंगुल में फंस रहे है, वहीं कर्ज न देने वाले बैंकों के खिलाफ सरकार केवल चेतावनी दे रही है। मुख्यमंत्री ने ब्याज न भरने की घोषणा की थी, परंतु बैंक इस घोषणा को मानने के लिए तैयार नहीं है। जिन किसानों ने बीते वर्ष 3 लाख कर्ज लेकर उसे चुकाया, उन्हें इस वर्ष केवल एक लाख रुपए कर्ज देने की बात कही जा रही है।

विधायक व अधिकारियों ने बैठकें लेकर कर्ज देने के निर्देश दिए, परंतु बैंकों ने अब तक कर्ज नहीं दिया। सहकारी बैंक अपने किसान खातेदारों के खातों की राशि विथड्रॉल नहीं कर रही है। काटोल-नरखेड़ तहसील में बोंड इल्लियों से काफी नुकसान हुआ था। 68 करोड़ रुपए जिले ने मांगें तो सरकार ने केवल 18 करोड़ रुपए दिए। इसमें 5 तहसीलों का नाम भी नहीं है। कर्ज आवेदन के साथ 14 प्रकार के दस्तावेज देने की जिद कृषि व राजस्व विभाग कर रहा है। इसके बिना कर्ज नहीं दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री व जिले के पालकमंत्री इन तमाम समस्याओं की ओर तत्काल ध्यान दें, यह मांग पूर्व विधायक सुनील शिंदे ने की है।
 

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