नर्सिंग होम के क्लीयरेंस पर उठे सवाल, भास्कर के खुलासे के बाद सीएमएचओ ने बैठाई जांच

फायर सेफ्टी में बड़ी चूक नर्सिंग होम के क्लीयरेंस पर उठे सवाल, भास्कर के खुलासे के बाद सीएमएचओ ने बैठाई जांच

Safal Upadhyay
Update: 2022-10-15 10:09 GMT
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डिजिटल डेस्क,छतरपुर। जबलपुर के एक निजी अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड के बाद भी प्रशासन द्वारा फायर सेफ्टी की जांच में खानापूर्ति किए जाने का खुलासा हुआ है। भास्कर की पड़ताल में यह बात सामने आई कि अफसरों ने निजी अस्पतालों की जांच में रेक्टिफाइड स्प्रिट के लाइसेंस का कॉलम होने के बाद भी उसकी नर्सिंग होमों से प्रतिपूर्ति नहीं कराई है। इसके चलते निजी अस्पतालों में रेक्टिफाइड स्प्रिट का भंडारण होने के कारण आगजनी का खतरा बना हुआ है। हैरत की बात तो यह है कि कॉलम को रिक्त छोड़कर टीम ने रेक्टिफाइड स्प्रिट के लाइसेंस के बगैर फायर सेफ्टी की क्लीयरेंस जारी कर दी है। ऐसे में निजी अस्पतालों को जारी फायर की एनओसी पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

दवा के थोक डीलरों के यहां आगजनी का खतरा

जिले मे थोक डीलरों के पास भारी मात्रा में रेक्टिफाइड स्प्रिट का भंडारण होने से आगजनी का खतरा बना हुआ है। जानकार बताते है कि दवा दुकानों में 95 प्रतिशत से अधिक अल्कोहल बेस्ड पदार्थ का भंडारण है। इसके बाद जिले के एक भी दवा के विक्रेता और डीलरों ने रेक्टिफाइड स्प्रिट का लाइसेंस नहीं लिया है। जबकि, नियमों के अनुसार रेक्टिफाइड स्प्रिट को सुरक्षित स्थान में किए जाने का प्रवाधान है। ऐसे थोक दवा विक्रेताओं की लापरवाही से बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा नियमों की अनदेखी की जा रही है।

अतंत: चार साल बाद खुली जिले के अफसरों की नींद

निजी अस्पतालों और दवा विक्रेता और डीलरों के यहां रेक्टिफाइड स्प्रिट का लाइसेंस नहीं होने का मामला सार्वजनिक होने के बाद अंतत: स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की नींद खुल गई। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद जहां आनन-फानन में जांच बैठाई गई है, वहीं निजी अस्पतालों को जारी की एनओसी अफसरों के गले की फांस बन गई है। अब देखना यह है कि प्रशासन निजी अस्पतालों को रेक्टिफाइड के लाइसेंस के बगैर जारी एनओसी के खिलाफ क्या कदम उठाता है। हालांकि सीएमएचओ ने इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।

सीएमएचओ ने ड्रग इंस्पेक्टर को दिए जांच के आदेश

दवा विक्रेता और थोक डीलरों के यहां पर रेक्टिफाइड स्प्रिट का लाइसेंस नहीं होने की भास्कर द्वारा खबर प्रकाशित करने के बाद सीएमएचओ ने जांच के लिए टीम गठित कर दी है। उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर को दवा विक्रेता और थोक डीलरों के यहां रेक्टिफाइड स्प्रिट के लाइसेंस की जांच करने के निर्देश दिए हंै। सीएमएचओ ने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर से जांच कराकर रेक्टिफाइड स्प्रिट के लाइसेंस अनिवार्य कराया जाएगा।

फायर सेफ्टी के कॉलम की कराई जाएगी प्रतिपूर्ति

निजी अस्पतालों की जांच में रेक्टिफाइड स्प्रिट के लाइसेंस होने का कॉलम था, लेकिन अभी उसकी प्रतिपूर्ति नहीं हो पाई है। दवा दुकानों एवं थोक डीलरों के यहां रेक्टिफाइड स्प्रिट के लाइसेंस की ड्रग इंस्पेक्टर से जांच कराने के आदेश जारी किए गए है। वाणिज्यिकर विभाग के आदेश का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
डॉ.लखन तिवारी, सीएमएचओ
 

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