वैक्सीन लगने बाद संक्रमण की चपेट में आए, सैंपल की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग

वैक्सीन लगने बाद संक्रमण की चपेट में आए, सैंपल की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-14 17:28 GMT
वैक्सीन लगने बाद संक्रमण की चपेट में आए, सैंपल की होगी जीनोम सीक्वेंसिंग



डिजिटल डेस्क जबलपुर। कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट की जाँच के लिए जबलपुर जिले के सैंपल्स दिल्ली भेजे जा रहे हैं। बता दें कि मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब द्वारा जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 6 नमूने चुनकर भोपाल भेज दिए गए हैं। इनमें से ऐसे सैंपल्स भी हैं, जिनमें व्यक्ति वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना संक्रमित हो गया। जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए निर्धारित क्राइटेरिया में से एक क्राइटेरिया यह भी है। जिले में नए संक्रमितों का ग्राफ लगातार कम हुआ है। ऐसे में लैब विशेषज्ञों के सामने निर्धारित क्राइटेरिया पर खरे उतरने वाले 6 नमूने चुनने की चुनौती थी। लगभग 15 दिन बीत जाने के बाद नमूने चुन लिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि एक पखवाड़ा पहले प्रदेश के कुछ जिलों में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पीडि़त मरीज सामने आने के बाद, प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में जीनोम सीक्वेंसिंग कराने का निर्णय लिया था। केंद्र सरकार डेल्टा प्लस की गंभीरता को देखते हुए  वैरिएंट ऑफ कंसर्न  घोषित कर चुकी है।
 यह है सैंपल चुनने के लिए निर्धारित क्राइटेरिया - कोरोना के गंभीर मरीज
- दोबारा संक्रमित होने वाले
- वैक्सीनेशन के बाद कोरोना की चपेट में आने वाले
- लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती
- दूसरी गंभीर बीमारियों से पीडि़तों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर
रिपोर्ट आने में लग सकते हैं 2 से 3 हफ्ते-
वायरोलॉजी लैब प्रभारी डॉ. रीति सेठ ने बताया कि सैंपल्स का चुनाव निर्धारित क्राइटेरिया के मुताबिक किया गया है। प्रत्येक 15 दिन में 6 नमूने भेजे जाने हैं। नमूनों के भोपाल पहुँचने के बाद उन्हें अन्य जिलों से आए सैंपल्स के साथ एनएसडीसी दिल्ली भेजा जाएगा। जानकारी के अनुसार दिल्ली से रिपोर्ट आने में कम से कम 15 दिन और अधिकतम 3 हफ्ते लग सकते हैं। जो सैंपल भेजे जा रहे हैं, उनमें से अधिकतर मरीज होम आइसोलेशन में हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जो अब स्वस्थ हो चुके हैं।
बनाया गया है पोर्टल-
प्रदेश में होने वाली जीनोम सीक्वेंसिंग की जाँचों के लिए सरकार द्वारा एक अलग पोर्टल बनाया गया है। इसमें प्रत्येक जिले को अलग आईडी-पासवार्ड दिया गया है। सैंपल के कलेक्शन से लेकर रिपोर्टिंग आने तक को-ऑर्डिनेशन बना रहे, इसलिए पोर्टल बनाया गया है।

 

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