इंदौर और भोपाल के बाद अब जबलपुर में भी ब्लैक फंगस की दस्तक

इंदौर और भोपाल के बाद अब जबलपुर में भी ब्लैक फंगस की दस्तक

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-11 08:54 GMT
इंदौर और भोपाल के बाद अब जबलपुर में भी ब्लैक फंगस की दस्तक

मेडिकल कॉलेज में सामने आए मामले, 38 वर्षीय युवक की मौत की पुष्टि, सोमवार को एक और संदिग्ध मौत, कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रहा ये इन्फेक्शन
** गुप्तेश्वर निवासी 38 वर्षीय देवांशु वर्मा 2 अप्रैल को कोराना संक्रमित हुए। 5 अप्रैल को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, वेंटीलेटर की जरूरत के बाद उन्हें 15 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। यहाँ कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होने पर उन्हें जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया। 25 अप्रैल को चेहरे पर सूजन आई, आँख भी सूज गई। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, जब तक फंगस दिमाग में पहुँच गई। ऑपरेशन के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। 3 मई को उनकी मृत्यु हो गई। परिवार वालों ने बताया कि देवांशु को शुगर की समस्या थी। 
** शहपुरा जमुनिया के मनखेड़ी के रहने वाले 45 वर्षीय रामकुमार (परिवर्तित नाम) को कुछ दिनों पहले बुखार की शिकायत थी। गाँव में कोरोना जाँच नहीं हुई। स्थानीय चिकित्सकों से इलाज लेने के बाद बुखार ठीक हो गया। कुछ ही दिनों बाद चेहरे का एक हिस्सा सूज गया और आँख बंद हो गई। जबलपुर इलाज के लिए पहुँचे तो जाँच में शुगर 400 मिली। डॉक्टरों ने बताया कि लक्षण ब्लैक फंगस के हैं। 
** पाटन निवासी लगभग 55 वर्षीय शिक्षक रूपेश कुमार (परिवर्तित नाम) को लगभग 1 माह पूर्व कोरोना हुआ था। कोरोना से रिकवरी के दौरान उनकी तबियत बिगडऩे लगी। आँखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी। विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी ब्लैक फंगस ठीक नहीं हो सकी और परिवार वाले उन्हें घर ले आए। सोमवार को उनका निधन हो गया।
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
इंदौर और भोपाल के बाद अब जबलपुर में भी ब्लैक फंगस के मामलों की पुष्टि हुई है। मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग द्वारा कोरोना से ठीक हो चुके कुछ मरीजों में इसके लक्षण देखे गए हैं। इनमें एक मरीज की मृत्यु होने की भी पुष्टि की गई है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि लोगों की जान बचाने के लिए उनके शरीर के अंग तक काटकर निकालने पड़ सकते हैं। संक्रमण से बचाने के लिए मरीज की आँखें तक निकालनी पड़ सकती हैं। 
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी कोरोना काल के पहले भी थी, लेकिन कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल के बाद शुगर बढऩे से ब्लैक फंगल इन्फेक्शन होने के चांस बढ़ जाते हैं, खासकर उन मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है, जो लंबे वक्त से मधुमेह से जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके मामले देखे जा रहे हैं।  
ब्लैक फंगस का कोरोना कनेक्शन 
ब्लैक फंगस की चपेट में ऐसे लोग सबसे ज्यादा आते हैं जो डायबिटिक हैं, या लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों। कोरोना जिन लोगों को हो रहा है उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इन्फेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है। 
क्या है ब्लैक फंगस? 
एक्सपर्ट के अनुसार ये एक फंगल डिसीज है। जो म्यूकॉरमाइटिसीस नाम के फंगाइल से होता है। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। अगर इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया जाता तो आँखों की रोशनी जा सकती है। या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैला है शरीर का वो हिस्सा सड़ सकता है।
इसके लक्षण क्या हैं? शरीर के किस हिस्से में इन्फेक्शन है उस पर इस बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं। चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुँह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं।
बचाव के लिए क्या करना चाहिए 
* जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन्हें पॉजिटिव अप्रोच रखनी चाहिए। कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए। 
*  अगर फंगस से कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इससे ये फंगस शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और इसका समय पर इलाज हो सकेगा। 
* कोरोना से रिकवर होने के बाद कुछ दिनों के अंतराल में शुगर चेक कराते रहना चाहिए, शुगर 200 से ऊपर होना खतरे की घंटी है, ऐसे में विशेषज्ञ से परामर्श लें। 
* अपने गले और नाक को सूखने न दें। पेय पदार्थ गले को तर रखेंगे, नाक में तेल लगा सकते हैं। अपने आस-पास साफ-सफाई और हाइजीन मेंटन रखे। 

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