अस्वच्छता में अकोला सबसे आगे, योजनाओं में पानी तरह खर्च हो रहा पैसा

अकोला अस्वच्छता में अकोला सबसे आगे, योजनाओं में पानी तरह खर्च हो रहा पैसा

Tejinder Singh
Update: 2021-11-23 11:57 GMT
अस्वच्छता में अकोला सबसे आगे, योजनाओं में पानी तरह खर्च हो रहा पैसा

डिजिटल डेस्क, अकोला। देश का हर शहर स्वच्छ एवं सुंदर बने इसलिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार विविध योजनाओं के तहत पानी तरह पैसा खर्च कर रही है।  महानगरपालिका को भी स्वच्छता के लिए करोड़ों रूपए मिले, लेकिन अकोला शहर की स्थिति सुधरती दिखाई नहीं दे रही है। शहर स्वच्छता के बजाय अस्वच्छता में अपनी पहचान बनाता नजर आ रहा है। शनिवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के नतीजे घोषित हुए, जिसमें स्वच्छ शहरों को सम्मानित किया गया। लेकिन अकोला शहर की रैंकिंग ने शहरवासियों को निराश किया है। देश में 173 वीं रैंकिंग मिली है। महाराष्ट्र के जिन 1 लाख से अधिक आबादीवाले 50 शहरों को रैकिंग मिली, उसमें अकोला का नाम सबसे आखिरी है। ऐसा ही सन के सर्वेक्षण में हुआ था, लेकिन सन 2020 में सर्वेक्षण के समय दिखावटी माहौल पैदा करने में मनपा को सफलता मिली थी। इस कारण 66 वीं रैकिंग मिली थी, किंतु इस बार वास्तविकता छिप नहीं पाई।

जून माह में अकोला महानगरपालिका क्षेत्र में स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के तहत केंद्रीय टीम ने सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण के लगभग 5 माह बाद मिनिस्ट्री ऑफ हाऊसिंग एण्ड अर्बन अफेअर्स गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने नेशनल रैंकिंग जारी की, जिसमें इस बार भी इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया। इन नतीजों में अकोला शहर को फिर से झटका लगा है। स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत खाद निर्मिती प्रकल्प, वाणिज्यिक परिसरों में नियमित साफसफाई, विविध कार्यशाला, उपक्रमों के आयोजन किए जाते है। जब टीम आती है तब स्वच्छता को लेकर बारीकी से निरीक्षण किया जाता है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मनपा की ओर से कोई खास तैयारियां नहीं की गई थी। फलस्वरूप रैकिंग फिर से नीचे फिसली है। सन 2019 के सर्वेक्षण में 217 वीं रैंकिंग मिली थी। दूसरे वर्ष सन 2020 में रैंकिंग में भारी उछाल दर्ज किया गया। 66 वीं रैंकिंग पाने में अकोला शहर ने सफलता पाई थी, लेकिन फिर से रैकिंग 107 गिरकर 173 पर पहुंची। इस प्रकार बढ़ी हुई रैंकिंग फिसलने के कारणों को लेकर मंथन करने की जरूरत मनपा को है।

अकोला शहर में स्वच्छता रहे इसकी ओर ध्यान देने का प्रयास मनपा अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है, लेकिन मनपा सत्तादल तथा विपक्ष ने इसकी ओर पूरी तरह अनदेखी की है। स्वच्छता को लेकर कोई भी उपक्रम नहीं चलाया गया, न ही नागरिकों को प्रोत्साहित किया गया। सत्तादल समेत राजनीतिक पार्टियों को पड़ित भागों में ही अधिक रूचि नजर आई। पड़ित भाग शुरू हो और पार्षदों की आय बरकरार रहे इस पर जोर दिया जाता रहा। अगर इतना ही ध्यान स्वच्छता सर्वेक्षण के समय स्वच्छता पर दिया गया होता तो शायद रैंकिंग बेहतर रहती। आज भी अकोला शहर के हर परिसर में कचरे व गंदगी की समस्या बरकरार है। 

 

 

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