संतरानगरी में रिमझिम फुहार के बीच मिस्रे और काफिया सुनकर खूब बजी तालियां- जान लीजिए क्या है और क्यों है गजल

बहार ए गजल संतरानगरी में रिमझिम फुहार के बीच मिस्रे और काफिया सुनकर खूब बजी तालियां- जान लीजिए क्या है और क्यों है गजल

Tejinder Singh
Update: 2022-07-29 06:43 GMT
संतरानगरी में रिमझिम फुहार के बीच मिस्रे और काफिया सुनकर खूब बजी तालियां- जान लीजिए क्या है और क्यों है गजल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गजल क्या है, गजल क्यों है, यह एक लंबी तवारीख है, लेकिन कहा जा सकता है कि 13वीं 14वीं सदी के दौरान अमीर खुसरो ने गजल का पहला एक्सपेरीमेंट किया था।

जिसके शब्द थे,

ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल
दुराये नैना बनाये बतियाँ

मानो यहां से गजल चलती हुई दुनियाभर में फैल गई।

इसके बाद मिर्ज़ा गालिब का एक दौर आया, जो हर दौर में जवां है, नया है। 

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले 
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले 

मशहूर शायर निदा फाजली ने अपने एक वीडियो में कहा कि गजल ने दर्द को मुहब्बत बना दिया। जिसकी जरूरत पूरी दुनिया को है। जो कभी बच्चों की आंखों में मुस्कुराती है, माओं की निगाहों से जगमगाती है और बहन की चूड़ियों से खनखनाती है।

धीरे-धीरे गजल कई भाषाओं में छा गई। पंजाबी में बुल्ले शाह की शानदार रचनाओं के साथ ही गजल उर्दू, मराठी जैसी जुबानों में और भी निखरती चली गई, हालांकि उर्दू में गजल ने जो शाब्दिक श्रृंगार किया है, उसका कोई सानी नहीं। 

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