आदिवासी क्षेत्रों की आश्रमशालाएं बदहाल, फर्श पर सोने को विवश है बच्चें

आदिवासी क्षेत्रों की आश्रमशालाएं बदहाल, फर्श पर सोने को विवश है बच्चें

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-09 05:57 GMT
आदिवासी क्षेत्रों की आश्रमशालाएं बदहाल, फर्श पर सोने को विवश है बच्चें

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी समुदाय के बच्चों को सभी सुविधायुक्त शिक्षा दिलाने के मुख्य उद्देश्य को लेकर सरकार ने एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प के माध्यम से जिले में शासकीय और अनुदानित आश्रमशालाएं संचालित की है। लेकिन वर्तमान स्थिति में जिले की सभी आश्रमशालाओं में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां शिक्षारत 30 हजार से अधिक विद्यार्थियों की  सुरक्षा रामभरोसे होकर बिस्तरों के अभाव में विद्यार्थियों को फर्श पर ही  सोना पड़ रहा है। सर्पदंश से अब तक दर्जनों विद्यार्थियों की मृत्यु होने के बावजूद विभाग ने समस्याओं के निवारण हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। 

 बता दें कि, एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प अंतर्गत गड़चिरोली जिले में तीन प्रकल्प कार्यालय है। इसमें गड़चिरोली, अहेरी और भामरागड़  प्रमुखता से शामिल है। इन प्रकल्प कार्यालयों के माध्यम से गड़चिरोली जिले में आश्रमशालाएं चलाई जा रही हैं।   आश्रमशालाओं में शिक्षारत विद्यार्थियों को सभी तरह की सेवा सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा भी प्रकल्प कार्यालय पर है। गड़चिरोली जिले में 44 सरकारी आश्रमशाला होकर 46 अनुदानित आश्रमशाला है।  इसमें गड़चिरोली प्रकल्प के सरकारी आश्रमशाला 25 और 19 अनुदानित, अहेरी प्रकल्प के 11 सरकारी और 14 अनुदानित तथा भामरागड़ प्रकल्प के 8 सरकारी और  12 अनुदानित आश्रमशालाओं का समावेश है।

गड़चिरोली प्रकल्प अंतर्गत 14 हजार 888, अहेरी प्रकल्प अंतर्गत 8 हजार 499 और भामरागड़ प्रकल्प अंतर्गत 7 हजार 910 विद्यार्थी आश्रमशाला के माध्यम से शिक्षा ले रहे हैं। लेकिन  आश्रमशालाओं में बुनियादी सुविधाओं का अभाव होने के कारण आदिवासी विद्यार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लाखों रुपए खर्च कर आश्रमशालाओं में लगवाए गए सोलर सिस्टम भी बंद अवस्था में है। इस कारण विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं हो रही है। इसके अलावा गत वर्ष से आश्रमशाला के विद्यार्थियों को वितरण किए जानेवाले साबून, तेल, मंजन आदि का भी वितरण नहीं किया गया है। वहीं दूसरी और आश्रमशालाओं की इमारत मरम्मत और सोलर वाटर हिटर खरीदी,  जनरेटर खरीदी पर करोड़ों  रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन ये सारे उपकरण शो-पीस बने हुए हैं। आश्रमशालाओं में व्याप्त समस्याओं का निवारण करने की मांग की जा रही है। 

प्रतिमाह लिया जाता है जायजा

आश्रमशालाओं की सारी सुविधाओं और समस्याओं के संदर्भ में प्रति माह जायजा लिया जाता है। उपकरण बंद पड़े हैं तो उसे तकनीकी व्यक्तियों के माध्यम से सुधारा जाता है। वहीं आश्रमशालाओं में पर्याप्त सामग्रियों   की आपूर्ति भी तय कालावधि में की जा  रही है। वर्तमान में किसी आश्रमशाला में कोई समस्याएं नहीं दिखायी दे रही है।  - इंदूरानी जाखड  प्रकल्प अधिकारी, एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प, गड़चिरोली

स्वास्थ्य शिविरों पर भी प्रश्न चिन्ह

एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प के माध्यम से संचालित सभी प्रकार की आश्रमशालाओं में शिक्षारत विद्यार्थियों की प्रति माह स्वास्थ्य जांच कराने के आदेश मंत्रालय ने जारी किए हैं। गड़चिरोली जिले में यह कार्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों व उनकी टीम द्वारा किया जाता है। लेकिन यह स्वास्थ्य शिविर पिछले अनेक महीनों से बंद होने की जानकारी मिली है। वर्तमान में मौसम करवट ले रहा है। कभी मूसलाधार बारिश तो कभी तेज धूप के कारण संक्रामक बीमारियां फैल रहीं हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। ऐसी स्थिति में आश्रमशालाओं में शिक्षारत विद्यार्थियों की तबीयत भी बिगडऩे लगी है। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन बंद होने से परेशानी और बढ़ गई है।

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