बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भा गए माइंस प्रोटेक्टिव वीकल
राजधानी ढाका की ओर से रक्षा सौदे के लिए हाथ बढ़ाया बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भा गए माइंस प्रोटेक्टिव वीकल
डिजिटल डेस्क जबलपुर। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को वाहन निर्माणी में तैयार होने वाला माइंस प्रोटेक्टिव वीकल की खूबियाँ भा गई हैं। राजधानी ढाका की ओर से रक्षा सौदे के लिए हाथ बढ़ाया गया है। इसके लिए बांग्लादेश का एक डेलिगेशन 22 सितंबर को जबलपुर की वाहन निर्माणी पहुँच रहा है। पता चला है कि सुरंगरोधी वाहन की खूबियों को और करीब से जानने के बाद ऑर्डर और सप्लाई की पुख्ता तारीख तय की जाएगी।
व्हीकल फैक्ट्री का सबसे खास प्रोडक्ट माइंस प्रोटेक्टिव वीकल की अब विदेशों से भी डिमांड आने लगी है। बेहद अलग तरह की खूबियों से लैस इस वाहन को लेकर कई पड़ोसी देशों ने पहले भी रुझान दिखाया है। ताजा तरीन मामले में बांग्लादेश की सरकार ने इस पर रुझान दिखाते हुए एक प्रतिनिधिमंडल को जबलपुर के लिए रवाना किया है।
क्वॉलिटी पैरामीटर्स का मुआयना-
्रआधिकारिक सूत्रों का कहना है कि वीएफजे में आने के बाद सभी 9 सदस्य एमपीवी की प्रोडक्शन लाइन, क्वॉलिटी पैरामीटर्स, इंजन पॉवर जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं का जायजा लेंगे। इस दौरान यह भी तय किया जाएगा कि बांग्लादेश की तरफ से आने वाली डिमांड को कितने दिनों में पूरा किया जा सकता है।
नेपाल पहुँचे 5 एमपीवी-
्र्र्रएमपीवी की सप्लाई एक अन्य पड़ोसी देश नेपाल को भी की गई है। वीएफजे का क्रू सोमवार को सभी 5 सुरंगरोधी वाहनों को बॉर्डर स्थित कोणना घाट, जियाटी गोरखपुर में छोड़कर वापस लौटा। इससे पहले सभी युद्धक वाहनों को हाल ही में 7 सितंबर को रवाना किया गया था। इलाहाबाद में कई तरह की टेस्टिंग से गुजरने के बाद सभी वाहनों को अलग-अलग ट्राले में लोड कर बॉर्डर पर छोड़ा गया।
खूबियाँ तो कमाल की-
- एयरकूल्ड सिस्टम के नजरिए से देखा जाए तो यह हर तरह के मौसम में उपयोगी।
- 12 जवानों के बैठने की क्षमता, साथ ही फायरिंग कोड से हमला करने की अचूक क्षमता।
- आतंकियों, माओवादियों, नक्सलियों के खिलाफ बेहद असरदार साबित हुई हैं एमपीवी
- सुरंग फटने के दौरान और बाहरी धमाके से बेअसर, टायर और काँच तक पूरी तरह से बुलेट प्रूफ।
- भारतीय सेना में उपयोगिता लगातार बढ़ी है। कई तरह के अपग्रेडेड वर्जन भी आ रहे हैं।
- अर्धसैनिक बलों की पहली पसंद, झारखंड, छग, प. बंगाल जैसे नक्सली क्षेत्रों में कारगर।