ड्रोन कैमरे में कैद हुई 867 गांवों की सीमा

ड्रोन कैमरे में कैद हुई 867 गांवों की सीमा

Tejinder Singh
Update: 2021-04-04 12:41 GMT
ड्रोन कैमरे में कैद हुई 867 गांवों की सीमा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गांवठाण का अधिकृत दस्तावेज नहीं रहने से ग्रामीणों के पास जमीन रहकर भी प्रॉपर्टी कार्ड नहीं है। सरकार ने ड्रोन कैमरे से गांव की सीमा का नापजोख करने के बाद नक्शा बनाकर नागरिकों को प्रॉपर्टी कार्ड देने के लिए ड्रोन कैमरे से गांवों का मैपिंग किया। जिले के 867 गांवों की ड्रोन मैपिंग कर 30 गांवों में नागरिकों को प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किए गए हैं। ग्रामीण नागरिकों के पास अपने अधिकार का घर रहने पर भी जमीन के दस्तावेज नहीं रहने से बैंक में जमीन गिरवी रखकर कर्ज नहीं उठा पा रहे थे। ड्रोन मैपिंग होकर प्रॉपर्टी कार्ड  मिलने से जमीन पर बैंक से कर्ज उठाने का रास्ता साफ हो गया है।

सीमा तय होने से विवाद निपटारे में आसानी

सभी नागरिकों के घर की जमीन की सीमा तय होने से आपसी विवादों का निपटारा करने में बड़ी मदद मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्र में जमीन िववाद को लेकर अदालतों में कई प्रकरण बरसों से लंबित हैं। अदालत के कामकाज पर भी इसका बोझ पड़ रहा है। सीमा तय हाेने से प्रकरणों का निपटारा करने में सुविधा होने से अदालतों पर काम का बोझ भी कम होगा।

16 हजार अतिक्रमण होंगे नियमित

जिले की 768 ग्राम पंचायतों में 1904 गांव हैं। गांवठाण तथा अन्य सरकारी जमीन पर 16 हजार अतिक्रमण हैं। ड्रोन मैपिंग हो चुके गांवों के अतिक्रमणधारकों का अतिक्रमण नियमित करने की सरकार की योजना है। 1 जनवरी 2011 से पहले बसे अतिक्रमण नियमित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री आवास योजना का मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक सभी को मकान दिलाने का वादा किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत बेघरों को घर दिलाने के लिए योजना चलाई जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में अनेक अतिक्रमण हैं। गांवठाण की सीमा तय नहीं रहने से अतिक्रमण नियमित करने में बड़ी समस्या है। गांवठाण की सीमा तय होने से अब अतिक्रमण नियमित कर प्रॉपर्टी कार्ड मिलने पर गरीबों का मकान का सपना पूरा होगा।

सरकारी नीति अंतर्गत 500 वर्ग फीट जमीन नि:शुल्क नियमित की जाएगी। इससे अधिक जमीन रेडिरेकनर रेट से शुल्क भरने पर नियमितीकरण किया जाएगा। अधिकतम 2000 वर्ग फीट जमीन नियमित की जाएगी। वन, चारागाह तथा रहने के लिए अयोग्य जमीन छोड़, राजस्व, सामान्य प्रशासन, गृह, कृषि, उद्योग, लोकनिर्माण, जलसंपदा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, पर्यावरण, परिवहन, कामगार, गृह निर्माण आदि विभागों की जमीनों पर बसे अतिक्रमण नियमितीकरण नीति के दायरे में लाए गए हैं।
 

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