कैबिनेट ने लगाई मुहर : 70 साल बाद विस्थापित सिंधियों को मिल सकेगा जमीन का मालिकाना हक

कैबिनेट ने लगाई मुहर : 70 साल बाद विस्थापित सिंधियों को मिल सकेगा जमीन का मालिकाना हक

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-17 07:06 GMT
कैबिनेट ने लगाई मुहर : 70 साल बाद विस्थापित सिंधियों को मिल सकेगा जमीन का मालिकाना हक

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। शिवराज सरकार ने आजादी के बाद का सबसे बड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान से आने के बाद से रिफ्यूजी कैम्पों में रह रहे विस्थापित सिंधी परिवारों को जमीन का मालिकाना हक देने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुक्रवार सुबह भोपाल में हुई कैबिनेट में तद्संदर्भ में आए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों के रिफ्यूजी कैम्प/बस्तियों में रह रहे करीब 42,000 सिंधी विस्थापित परिवारों की सत्तर साल से लंबित जमीन के मालिकाना हक की मांग पूरी होने का रास्ता साफ हो गया है। जबलपुर में इस तरह के करीब 8,000 तथा कटनी के माधवनगर में रह रहे 3,000 परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। संबंधित परिवार को जमीन का मालिकना हक हासिल करने के लिए जमीन के बाजार मूल्य की दस फीसदी राशि चुकानी होगी। 

कल से शुरू हो सकता है पट्टा वितरण का कार्य 
प्रदेश के लघु-सूक्ष्म उद्योग राज्यमंत्री संजय पाठक ने दैनिक भास्कर को बताया कि मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान सीएम ने राजस्व विभाग को तद्संदर्भ में ड्राफ्ट बनाने निर्देशित किया था। विभाग द्वारा तैयार किये गये पुनर्वास नीति के ड्राफ्ट को चर्चा उपरांत शुक्रवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। कागजी कोरम पूरा करने के बाद एक-दो दिन में ही, संभवत: चेट्रीचंड पर्व से पट्टा वितरण का कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। 

किस शहर में हैं कितने परिवार 
अभा सिंधी समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गंगाराम कटारिया के अनुसार रफियूजी कैम्पों में रह रहे प्रदेश के जिन 42,000 विस्थापित सिंधी परिवारों को यह लाभ मिलना है उनमें सबसे ज्यादा करीब 12 हजार परिवार इंदौर में हैं। जबलपुर के लालमाटी, द्वारकानगर, विजयनगर, शांतिनगर, घमापुर व गढ़ा में रह रहे करीब आठ हजार परिवारों को लाभ मिलना है। कटनी के माधवनगर में जो 3,000 सिंधी विस्थापित थे उनमें से 1711 लोगों को जमीन का पट्टा मिलना है। शेष को डेढ़ दशक पहले इसका लाभ दिया जा चुका है। अभा सिंधी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष राजू माखीजा के अनुसार शहडोल के करीब 1400, अनूपपुर के 150, उमरिया के 550, डिण्डौरी के 250, मण्डला के 400, बालाघाट के 600, छिंदवाड़ा के 700,  सिवनी के 1400, नरसिंहपुर के 350, दमोह के 900, सागर के 1500, टीकमगढ़ के 750, छतरपुर के 800, पन्ना के  225, सतना के 2000, रीवा के 1500, सीधी के 250 व सिंगरौली के करीब 200 परिवारों को यह लाभ मिलेगा।

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