जाति वैधता मामले में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ नहीं रोक सकते - HC

जाति वैधता मामले में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ नहीं रोक सकते - HC

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-12 09:57 GMT
जाति वैधता मामले में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ नहीं रोक सकते - HC

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच से नागपुर महानगरपालिका से बतौर स्वास्थ्य अधिकारी सेवानिवृत्त हुए अनिल चिव्हाणे को राहत मिली है। हाईकोर्ट में ऑल इंडिया आदिवासी एप्लाइज फेडरेशन ने याचिका दायर कर उन पर अवैध तरीके से एसटी प्रवर्ग के लाभ लेकर नौकरी हासिल करने के आरोप लगाए थे। संगठन ने उनकी सेवानिवृत्ति लाभ रोकने के आदेश जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनकर चिव्हाणे को बड़ी राहत दी और याचिका खारिज कर दी। 

यह थे आरोप
दरअसल याचिकाकर्ता संगठन के आरोप थे कि अनिल चिव्हाणे ने स्वयं को धनगर जाति का बता कर एसटी प्रवर्ग से मनपा में नौकरी हासिल की, लेकिन कभी भी अपना जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया। ऐसे में याचिकाकर्ता ने उनका निलंबन कर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। याचिका दायर होने के कुछ ही दिनों बाद चिव्हाणे सेवानिवृत्त हुए, तो याचिका में उनके सेवानिवृत्त लाभ रोकने के आदेश जारी करने की विनती हाईकोर्ट से की गई। इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता संगठन को अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए एक लाख रुपए जमा करवा कर प्रतिवादी चिव्हाणे, मनपा व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। 

एक लाख वापस करने के आदेश
मामले में चिव्हाणे के वकील अनूप ढोरे ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उनके मुवक्किल ने अपने सेवाकाल के दौरान कोई भी प्रमोशन या इस प्रकार का अन्य लाभ हासिल नहीं किया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया कि ऐसे मामलों में यदि संबंधित कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाए, तो उसके सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोके जा सकते। मामले में सभी पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता को उनके 1 लाख रुपए भी लौटाने के आदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को जारी किए। मामले में हाईकोर्ट के फैसले से अनिल चिव्हाणे को बड़ी राहत मिली है।  मामले में मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक ने पक्ष रखा।

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