कोंकण रिफायनरी को लेकर शह और मात का खेल,  देसाई ने सीएम-सचिव को सौंपा पत्र

कोंकण रिफायनरी को लेकर शह और मात का खेल,  देसाई ने सीएम-सचिव को सौंपा पत्र

Tejinder Singh
Update: 2018-04-24 11:54 GMT
कोंकण रिफायनरी को लेकर शह और मात का खेल,  देसाई ने सीएम-सचिव को सौंपा पत्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोंकण के रत्नागिरी में प्रस्तावित ग्रीन रिफायनरी परियोजना को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच शह और मात का खेल शुरू हो गया है। सहयोगी दल शिवसेना के कड़े विरोध के बावजूद सत्ताधारी भाजपा अभी भी परियोजना के पक्ष में दिखाई दे रही है। मंगलवार को शिवसेना नेता व प्रदेश के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि मैंने उद्योग विभाग के सचिव को बुला करके नाणार की रिफायनरी परियोजना के लिए सरकार की तरफ से जारी भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना को रद्द करने को लेकर पत्र दिया है।

इसके अनुसार अधिसूचना रद्द करने की कार्यवाही शुरू हो गई है। देसाई ने कहा कि मैंने अधिसूचना रद्द करने को लेकर मुख्यमंत्री को भी एक पत्र दिया है। इसके जवाब में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक शुरू होने से पहले शिवसेना के मंत्रियों ने मुझसे मुलाकात की। मुझे मंत्री देसाई ने अधिसूचना रद्द करने को लेकर पत्र दिया है। सरकार प्रदेश और कोंकण की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला लेगी।

इससे पहले देसाई ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक शुरू होने से पहले शिवसेना के मंत्रियों के साथ अपने कैबिन में बैठक की। बाद में शिवसेना के मंत्री मुख्यमंत्री से मिले। पत्रकारों से बातचीत में देसाई ने कहा कि मैंने अधिसूचना रद्द करने को लेकर विभाग के सचिव को निर्देश दिया है। इससे भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना रद्द होगी। इसको लेकर मेरे मन में अब शंका नहीं है। 

रिश्तों पर नहीं पड़ेगा असर: शिंदे 
दूसरी तरफ प्रदेश के एमएसआरडीसी मंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि रिफायनरी परियोजना विवाद का असर शिवसेना और भाजपा के रिश्तों पर नहीं पड़ेगा। शिंदे ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री के सामने अपनी मांगों को रखा है। परियोजना को लेकर शिवसेना की भूमिका स्पष्ट है। हम किसी भी हालत में परियोजना नहीं लगने देंगे। देसाई ने दावा किया कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में रिफायनरी परियोजना को लेकर चर्चा नहीं हुई। 

देसाई और मुख्यमंत्री आमने-सामने 
अधिसूचना रद्द करने के अधिकार को लेकर मंत्री देसाई और मुख्यमंत्री आमने-सामने नजर आ रहे हैं। देसाई ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना विभाग का मंत्री होने के नाते मैंने जारी की थी। इसलिए भूमि अधिग्रहण कानून की धारा-3 के तहत अधिसूचना रद्द करने का अधिकार मुझे है। देसाई ने कहा कि मैंने नियम और कानून का अध्ययन करने के बाद ही घोषणा की है। जबकि मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अधिसूचना रद्द करने के अधिकार के बारे में सोमवार को जो कहा था वही सत्य है। यही कारण है कि मंत्री देसाई ने अधिसूचना रद्द करने को लेकर मुझे पत्र दिया है। 

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अधिसूचना रद्द करने का अधिकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च अधिकार प्राप्त समिति (एसपीसी) को है। सूत्रों के अनुसार भाजपा खेमे का दावा है कि उद्योग मंत्री देसाई ने भले ही सचिव को निर्देश दिया है लेकिन अधिसूचना रद्द करने का प्रस्ताव अंत में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के पास ही आएगा। ऐसे में मुख्यमंत्री ही अंतिम फैसला लेंगे। 
 

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