घर-घर टीकाकरण करने में रखनी होगी सावधानी, हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
घर-घर टीकाकरण करने में रखनी होगी सावधानी, हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोरोना का टीकाकरण अधिक सुविधाजनक होना चाहिए। पर इसमें सतर्कता बरतना भी जरुरी है। क्योंकि हम नहीं चाहते है कि लोग घर में टीका लेने के बाद गिर पड़े। इसलिए हम इस बारे में केंद्र सरकार का जवाब जानना चाहते है कि क्या घर-घर टीके को लेकर कोई नीति है व प्रोटोकाल है। यदि हो तो सरकार उसे हमारे सामने लाया जाए। कोर्ट सरकार से पूछा है कि क्या बुजुर्गों के लिए टीकारकरण के पंजीयन और सुविधाजनक बनाया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह बात 75 साल के ऊपर के लोगों को घर-घर जाकर कोरोना का टीका लगाने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। यह याचिका पेशे से वकील धृति कापडिया ने दायर की है। याचिका में दावा किया है कि बुजुर्ग लोगों के लिए टीकाकरण केंद्र तक पहुंच पाना संभव नहीं है। क्योंकि बहुत से बुजुर्ग व्हीलचेयर पर व बिस्तर पर है।
याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिका में एक तरह से सच्चाई को बयान किया गया है। हम अपने अनुभव से भी यह बात कह सकते हैं। न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि मेरे पिता व्हीलचेयर पर हैं। मैं उन्हें अस्पताल नहीं ले जा सकता हूं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की हालत तो इससे भी ज्यादा खराब है। जो की पूरी तरह से बिस्तर पर लेटे हुए हैं। ऐसे में क्या किया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि हम केंद्र सरकार की नीति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे, हम सिर्फ इसमें सुधार चाहते हैं। हम चाहते हैं की टीकाकरण की प्रक्रिया ज्यादा लंबी न हो कर सुविधाजनक हो।
वहीं सरकारी वकील ने कहा कि टीकाकरण केंद्र का अस्पताल से जुड़ाव होना जरुरी है। वहां आपात मेडिकल सेवा का होना जरुरी है। क्योंकि टीका के बाद मरीज को निरीक्षण में रखा जाता है। टीका केंद्र में आईसीयू जरुरी है। क्योंकि कई बार टीका के बाद व्यक्ति सहज महसूस नहीं करता है। खंडपीठ ने कहा कि हमे मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त ने भी यह जानकारी दी थी। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 9 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को थूकने से रोके स्थानिय निकायः हाईकोर्ट
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य का प्रशासन नागरिकों को सार्वजनिक जगह पर थूकने से रोकने को लेकर जागरुक करे और इसे रोकने के लिए जरुरी कदम उठाए। हाईकोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका सहित सभी स्थानीय निकायों को भी इस दिशा में कदम उठाने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने कहा कि आखिर पुलिस व मनपा सार्वजनिक जगह पर थूकने के लिए सिर्फ 200 रुपए ही क्यों जुर्माना वसूल रही है जबकि कानून अधिकतम 1200 रुपए का जुर्माना वसूलने की इजाजत देता है। फिर सार्वजनिक जगहों पर थूकनेवाले लोगों से न्यूनतम जुर्माना क्यों लिया जाता है।खंडपीठ ने यह बात पेशे से वकील अरमीन वांद्रेवाला की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में दावा किया है कि सार्वजनिक जगहों पर लोगों का थूकना भी कोरोना के तेजी से बढने की बडी वजह है। लेकिन प्रशासन व संबंधित प्राधिकरण सार्वजनिक जगहों पर रोक लगाने को लेकर पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता वांद्रेवाला ने कहा कि इस मामले में मुंबई मनपा को अंशकालिक रुप से मार्शल व संरक्षकों को नियुक्ति करने के लिए कहा जाए। जिससे सार्वजनिक जगहों पर थूकने की अनुचित प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सार्वजनिक जगहों पर थूकने से रोकने वाले कानून को सख्ती से लागू करना आज के समय की जरुरत है। इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की आवश्यक्ता है। इस पर खंडपीठ ने सरकारी वकील व मनपा की वकील से पूछा कि इस विषय को लेकर क्या किया गया है। इस पर मनपा की वकील ने कहा क हमने सात हजार ऐसे लोगों से जुर्माना वसूला है जो सार्वजनिक जगहों पर थूकते हुए पकड़े गए थे। इस बारे में मनपा की कार्रवाई जारी है। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 21 अप्रैल 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।