नागपुर के चैरिटेबल अस्पताल को चैरिटी लिखना अनिवार्य, फीस में भी करनी होगी कटौती

नागपुर के चैरिटेबल अस्पताल को चैरिटी लिखना अनिवार्य, फीस में भी करनी होगी कटौती

Tejinder Singh
Update: 2018-12-16 12:50 GMT
नागपुर के चैरिटेबल अस्पताल को चैरिटी लिखना अनिवार्य, फीस में भी करनी होगी कटौती

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चैरिटी के नाम पर सरकार से सेवा और सुविधा लेने वाले चैरिटेबल अस्पताल रोगियों को शुल्क में राहत देने से अब बच नहीं सकेंगे। जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद ने जिले के सभी 28 चैरिटेबल अस्पतालों को अस्पताल के नाम के साथ चेरिटी (धर्मदाय) लिखना अनिवार्य कर दिया है। इन अस्पतालों का चिकित्सा शुल्क निजी अस्पतालों से ज्यादा होने पर इसकी शिकायत की जा सकती है। सरकार की तरफ से चैरिटेबल अस्पताल को जमीन नाम मात्र दर पर दी जाती है। इसके साथ ही बिजली-पानी के दर में भी राहत दी जाती है। इसके पिछे सरकार का यहीं उद्देश्य होता है कि इन अस्पतालों में गरीब व जरूरतमंद का इलाज मुफ्त में या नाम मात्र रेट पर हो जाए।

चैरिटेबल अस्पतालों को नाम के साथ चैरिटी लिखने का नियम पहले से है, लेकिन इस पर अमल नहीं होने से नाराज जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद ने जिले के सभी 28 अस्पतालों को चैरिटी लिखना अनिवार्य कर दिया। चैरिटी ऐसा लिखा जाए, ताकि लोग पढ़ सके। इसी तरह अस्पताल में पैथालॉजी का रेट बोर्ड भी लगाना अनिवार्य कर दिया।

शुक्रवार 14 दिसंबर को हुई जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद की बैठक में परिषद के मानद अध्यक्ष भास्कर तायड़े ने यह निर्देश दिए। बैठक में धर्मदाय आयुक्तालय का प्रतिनिधि भी मौजुद था। धर्मदाय आयुक्तालय के इंस्पेक्टरों को चैरिटेबल अस्पतालों का निरीक्षण कर यह देखना है कि इसका पालन हो रहा है या नहीं। जो अस्पताल इस पर अमल नहीं करेगा, उसकी रिपोर्ट अगली बैठक में पेश की जाएगी। साथ ही धर्मदाय आयुक्तालय की ओर से संबंधित अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी। 

अस्पताल की तरफ से रोगी को कई तरह की टेस्ट करने को कहा जाता है। पैथालाजी का रेट बोर्ड नहीं होने से रोगी से मनमाना शुल्क वसूला जाता है। इस पर ब्रेक लगाने के लिए हर चैरिटेबल अस्पताल में पैथालाजी के रेट बोर्ड लगाने जरूरी हो गया है। चैरिटेबल अस्पताल में गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) रोगियों को 10 फीसदी बेड आरक्षित रहते है। इसीतरह सामान्य रोगियों से वसूला जाने वाला चिकित्सकीय व लैब का खर्च भी निजी अस्पतालों से कम होना जरूरी है। 

चैरिटी का उद्देश्य पूरा होना चाहिए
चैरिटी का मतलब सेवाभाव है और बीपीएल को मुफ्त में व जरूरतमंदों को सस्ते दर पर चिकित्सकीय सुविधा मिलनी चाहिए। अस्पताल के नाम के साथ चैरिटी लिखा होने पर रोगी इन अस्पतालों में बेफिक्र होकर एडमिट होता है। इसीतरह पैथालाजी के रेट लिखे होने पर रोगी खून या अन्य तरह की जांच करने से पिछे नहीं हटता। चैरिटी लिखा होने व रेट बोर्ड होने से काम में पारदर्शिता रहती है और सरकार ने जिस उद्देश्य को लेकर अस्पताल को सुविधा दी वह उद्देश्य भी पूरा होता है। नियमों पर अमल कराना सिस्टम की जिम्मेदारी है। रोगी चाहे तो शिकायत भी कर सकता है। 
भास्कर तायडे, मानद अध्यक्ष जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद नागपुर

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